भेड़िया और सारस ( पंचतंत्र की कहानी )

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भेड़िया और सारस ( पंचतंत्र की कहानी )

भेड़िया और सारस ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक दिन, एक भेड़िए को जंगल में बैल का गोश्त पड़ा मिला। उसने ललचाकर जल्दी से गोश्त खाना शुरू कर दिया। हड्डी का एक टुकड़ा उसके गले में फँस गया।

उसे साँस लेने तक में मुश्किल होने लगी। भेड़िए को याद आया कि पास ही एक सारस रहता है। भेड़िया सारस के पास गया और उससे सहायता माँगने लगा। भेड़िए ने सारस को इनाम देने का भी वादा किया।

सारस को भी उस पर दया आ गई। वह भेड़िए की सहायता करने को तैयार हो गया। भेड़िए ने अपना मुँह पूरा खोल दिया और सारस ने आसानी से उसके गले में फँसी हड्डी अपनी लंबी चोंच से बाहर निकाल दी।

इसके बाद सारस ने भेड़िए को उसका वादा याद दिलाते हुए उससे अपना इनाम माँगा।

भेड़िया अपनी बात से मुकर गया और बोला “कैसा इनाम ?”

यह सुन सारस चौंक गया !

भेड़िया फिर बोला “जब तुमने अपनी चोंच मेरे मुँह में डाली थी, तब मैं चाहता तो तुम्हें तभी खा जाता! तुम्हें तो मेरा आभारी होना चाहिए कि मैंने तुम्हें ज़िंदा छोड़ दिया।” उसके सारस कोई जवाब देता, पहले ही स्वार्थी भेड़िया वहाँ से भाग चुका था।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जिंदगी कई बार ऐसे स्वार्थी लोग मिलते हैं जो सिर्फ पने काम निकलने तक आपके साथ रहते हैं या आपकी हाँ में हाँ मिलाते हैं और अपना काम निकल जाने पर आपका साथ छोड़कर भाग जाते हैं अतः ऐसे मतलबी लोगों को पहचानें और ऐसे लोगों से दूर रहें।

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