व्यापारी और गधा ( पंचतंत्र की कहानी )

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व्यापारी और गधा ( पंचतंत्र की कहानी )

व्यापारी और गधा ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक व्यापारी नमक से भरी बोरियाँ पड़ोस के शहर ले जाया करता था। वह बोरियाँ गधे की पीठ पर लादकर ले जाता था। एक दिन एक तालाब पार करते समय गधे का पैर फिसल गया और वह तालाब में गिर गया।

गधे को तालाब में गिरा देख व्यापारी ने उसे उठाया। गधे को एकाएक काफी आराम मिला और पीठ पर रखा वजन उसे कुछ कम लगा क्योंकि गधे की पीठ पर लदा ज़्यादातर नमक पानी में घुल चुका था और उसका बोझा काफी कम हो गया था।

इस बात से गधा बहुत प्रसन्न हुआ और अब, गधा प्रतिदिन जान-बूझकर तालाब में फिसल जाता ताकि नमक पानी में घुल जाये और नमक का बोझ कम हो जाये।

व्यापारी कई दिनों में गधे की इस चालाकी को समझ गया और उसने गधे को सबक सिखाने का निश्चय किया।

अगले दिन, व्यापारी ने गधे पर नमक की जगह रुई के गट्ठर लाद दिए और जब गधा पानी में गिरा तो रुई भीगकर बहुत भारी हो गई!

गधे से अब बोझ के मारे उठना मुश्किल हो रहा था!

व्यापारी हँसते हुए बोला “हाँ! अब तुम मेरे साथ कभी चालाकी नहीं करोगे, आज तुम्हें अकल आ गयी होगी।” व्यापारी हँसाते हुए अपने गधे को हाँकते आगे हुए चल पड़ा।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कई बार हमारी चालाकी हम पर उलटी भी पड़ सकती है अतः अपने काम के प्रति कभी कामचोरी न करें और काम से जी न चुराएं।

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