सफेद मूसली के फायदे, नुकसान एवं उपयोग का तरीका

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सफेद मूसली के फायदे, नुकसान एवं उपयोग का तरीका

सफेद मूसली के फायदे, नुकसान एवं उपयोग का तरीका : सफेद मूसली के फायदे और नुकसान एवं उपयोग का तरीका यहाँ बताया गया है। आयुर्वेद में कई प्रकार की जड़ी बूटियां हैं और उन्हीं में से एक है सफेद मूसली पौधा। आयुर्वेद में सफेद मूसली का प्रयोग सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें पाए जाने वाले गुण स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकते है।

आयुर्वेद के अनुसार सफेद मूसली (safed musli) की जड़ें सबसे ज्यादा गुणकारी होती हैं। ये जड़ें विटामिन और खनिजों का भंडार हैं। सफेद मूसली की जड़ों के अलावा इनके बीजों का इस्तेमाल भी प्रमुखता से किया जाता है। इन जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, सैपोनिन जैसे पोषक तत्व और कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीसियम आदि खनिज प्रमुखता से पाए जाते हैं। Advantages, disadvantages and method of use of Safed Musli in hindi.

सफेद मूसली के औषधीय गुण

आमतौर पर सफेद मूसली का उपयोग सेक्स संबंधी समस्याओं के लिए अधिक होता है लेकिन इसके अलावा सफेद मूसली का इस्तेमाल आर्थराइटिस, कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज),नपुंसकता आदि रोगों के इलाज में और शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी प्रमुखता से किया जाता है। सफेद मूसली शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करती है। साथ ही डिलीवरी के बाद महिलाओं को होने वाली समस्याओं में आयुर्वेदिक औषधि का काम भी करती है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी लाभदायक है। इसमें 25 से अधिक अल्कलॉइड, विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सैपोनिन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फिनोल, रेजिन, म्यूसिलेज और पॉलीसैकराइड्स जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। आजकल मसल्स के दीवाने लोग भी अश्वगंधा, शतावरी (Shatavari), कॉन्च बीज और गोखुरू के साथ सफ़ेद मूसली का उपयोग करने लगे हैं ताकि टेस्टेस्टेरॉन बूस्ट करके जिम में अधिक वर्कआउट के साथ अपनी बॉडी को आकर्षक रूप दे सकें। इन उत्पादों को एक साथ खरीदने के लिए – यहाँ क्लिक करें

सफेद मूसली खाने की विधि या सफेद मूसली खाने का तरीका

सफेद मूसली एक टेस्टेस्टेरॉन बूस्टर है इसलिए सफेद मूसली की खुराक (safed musli dosage) के बारे में जानना बेहद ज़रुरी है क्योंकि गलत या ज्यादा खुराक का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही सफेद मूसली (safed musli) का सेवन करें।

आमतौर पर सफेद मूसली की सामान्य खुराक निम्नलिखित है :-

  • सफेद मूसली चूर्ण : 1-2 ग्राम दिन में दो बार
  • सफेद मूसली कैप्सूल : 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार
  • मूसली पाक : आधा-आधा चम्मच दिन में दो बार

आजकल जिम जाने वाले और स्टेरॉइड से परहेज करने वाले लोग अश्वगंधा ( Ashwagandha ), शतावरी ( Shatavari ), सफेद मूसली, कॉन्च बीज और गोखुरू का खासतौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके साथ दो बातें ऐसी हैं जो अच्छी हैं। एक तो इनके साइड इफेक्ट बहुत ज्यादा नहीं हैं और दूसरी बात इनकी कीमत ज्यादा नहीं होती। इसके अलावा ये लंबे टाइम तक बॉडी में नहीं ठहरतीं जैसे स्टेरॉइड। जिम जाने वाले लोग अपने इंस्ट्रक्टर की देख रेख में खुराक बढ़ा सकते हैं लेकिन अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही खुराक लें ताकि कोई नुकसान न हो।

सफेद मूसली के फायदे

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार सफेद मूसली मुख्य रुप से पित्तशामक और वातशामक है लेकिन यह कफ दोष को बढ़ाती है। इसी वजह से कफ संबंधी समस्याओं में इससे परहेज करना चाहिए। सफेद मूसली में कामोत्तेजक गुण होते हैं और यह शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी बीमारियों में बहुत उपयोगी साबित होती है।

  • सफेद मूसली पाउडर (safed musli powder) में ऐसे गुण होते हैं जो कामोत्तेजना बढ़ाने के साथ साथ टेस्टोस्टेरोन जैसे प्रभाव वाले सेक्स हार्मोन का स्तर बढ़ाते हैं इसलिए सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए सफ़ेद मूसली का उपयोग करना सही है।
  • खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोग शीघ्रपतन की समस्या से ग्रसित रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए सफेद मूसली (safed musli) एक कारगर औषधि है। इसे आप शीघ्रपतन की दवा के रुप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • सेक्स के दौरान लिंग में उत्तेजना या तनाव की कमी होना इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या कहलाती है। स्ट्रेस, डिप्रेशन या किसी दीर्घकालिक बीमारी की वजह से यह समस्या किसी को भी हो सकती है। सफेद मूसली सेक्स की इच्छा को बढ़ाती है साथ ही यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को भी ठीक करने में मदद करती है।
  • सफेद मूसली वीर्य का उत्पादन बढ़ाती है और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाती है। ऐसा माना जाता है कि इसके नियमित सेवन से नपुंसकता के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कौंच के बीज के साथ सफेद मूसली का सेवन नपुंसकता के इलाज में काफी उपयोगी माना जाता है।
  • सफेद मूसली के सेवन से स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है और इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ती है जिससे शुक्राणु पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं।
  • आज के समय में अधिकांश जिम जाने वाले लड़के बॉडी बिल्डिंग के लिए सफेद मूसली को सप्लीमेंट की तरह इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भी शारीरिक रुप से कमजोर हैं या थोड़ी सी मेहनत करने के बाद थक जाते हैं तो सफेद मूसली आपके लिए बहुत फायदेमंद है।

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सफेद मूसली के नुकसान और सावधानियां

अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में या गलत तरीके से इसका सेवन कर रहे हैं तो आपको सफेद मूसली के नुकसान (safed musli ke nuksan) झेलने पड़ सकते हैं।

  • अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में सफेद मूसली का सेवन कर रहे हैं तो यह आपकी भूख को कम कर सकती है इसलिए डॉक्टर द्वारा बताई खुराक के अनुसार ही सेवन करें। अगर इसके सेवन के दौरान भूख में कमी महसूस हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
  • सफेद मूसली की तासीर ठंडी होती है और यह शरीर में कफ को बढ़ाती है इसलिए अगर आप कफ से जुड़ी समस्याओं से पहले से ही पीड़ित हैं तो सफेद मूसली के सेवन से परहेज करें या चिकित्सक की देखरेख में ही सफेद मूसली सेवन करें।
  • अगर आपकी पाचन क्षमता कमजोर है तो सफेद मूसली (safed musli in hindi) की कम मात्रा का सेवन करें क्योंकि यह देरी से पचती है जिसकी वजह से आपको पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
  • गर्भावस्था में इसका सेवन सीधे तौर पर न करें। पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह फायदेमंद हो सकती है।
  • लो शुगर की समस्या वालों को इसके सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें रक्त में मौजूद शुगर को कम करने के गुण पाए जाते हैं, जो समस्या को गंभीर बना सकते हैं।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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