शेर का शिकार और चालाक लोमड़ी ( हिन्दी कहानी – hindi kahani ) – एक समय की बात है एक जंगल में एक शेर रहता था जो बूढ़ा हो गया था। अब शेर बहुत मुश्किल से शिकार कर पा रहा था जिस कारण शेर कमजोर होता जा रहा था।
शेर पहले तो एक दिन में कई शिकार कर लेता था परंतु अब शेर के लिए एक ही शिकार कर पाना मुश्किल हो रहा था।
शेर की एक सेविका लोमड़ी थी जो बहुत आलसी प्रवृति की थी और आलसी लोमड़ी शेर के द्वारा किए शिकार में से जो बचता था, उससे ही अपना पेट भरती थी।
अब शेर के दिन प्रतिदिन बूढ़ा और कमजोर होने के कारण उससे शिकार नहीं हो रहा था। जिस कारण लोमड़ी को भी कुछ अच्छा और पर्याप्त भोजन खाने को नहीं मिल रहा था।
एक बार कई दिनों तक शेर कोई भी शिकार नहीं कर पाया जिस कारण शेर बहुत ज्यादा ही दुर्बल हो गया था। जब शेर बहुत दिनों तक अपनी गुफा से बाहर नहीं आया तो लोमड़ी शेर की गुफा में शेर को देखने चली गई।
जैसे ही लोमड़ी शेर की गुफा में गई लोमड़ी ने देखा कि शेर बहुत कमजोर हो गया और सोया है। जब शेर ने कुछ देर बिल्कुल भी नहीं हलचल नहीं की, तो लोमड़ी को लगा शायद शेर मर गया है इसलिए लोमड़ी शेर के बहुत पास चली गई।
लोमड़ी जैसे ही शेर के पास गई शेर ने अचानक लोमड़ी पर हमला कर दिया और लोमड़ी रोने लगी। लोमड़ी शेर से उसे छोड़ देने की विनती करने लगी। शेर को रोता देख शेर ने लोमड़ी से कहा – “मैं तुम्हें केवल एक ही शर्त पर नहीं खाऊँगा।”
लोमड़ी शेर से रोते हुए बोली – “राजा जी, आपकी क्या शर्त है और राजा आपकी जो भी शर्त होगी मुझे मंजूर है कृपया मुझ पर दया कीजिये और मुझे छोड़ दीजिए।”
शेर लोमड़ी से बोला-ठीक है मैं तुम्हें छोड़ रहा हूँ लेकिन लोमड़ी तुमको मेरे लिए मेरी ही गुफा में शिकार लाना होगा और जिस भी दिन लोमड़ी तुम शिकार नहीं ला सकोगी, उस दिन मैं तुम्हें खा जाऊँगा और शेर ने लोमड़ी को छोड़ दिया।
लोमड़ी बहुत चालक थी, लोमड़ी को पता था लोमड़ी तो आलसी है इसलिए लोमड़ी हर दिन खुद शेर के पास शिकार नहीं ले जा सकती इसलिए लोमड़ी ने एक चाल चली।
लोमड़ी ने पूरे जंगल में यह बात फैला दी कि शेर बहुत ज्यादा बीमार हैं और शेर की अंतिम इच्छा यह है कि शेर हर जानवर से अकेले शेर की गुफा में मिलकर कुछ बातें करना चाहते हैं।
लोमड़ी ने जंगल में शेर के बीमार होने की बात इतनी चतुरता से फैलाई की, सभी जानवरों को लोमड़ी की बातों पर विश्वास हो गया।
अब प्रतिदिन जंगल में से कोई न कोई जानवर शेर की गुफा में शेर से मिलने जाता तो शेर उस जानवर को खा जाता।
प्रतिदिन शेर को बिन मेहनत के शिकार मिल रहा था, जिससे शेर बहुत खुश हो गया और प्रतिदिन शिकार मिलने से शेर अब ताकतवर भी हो गया था।
हर दिन की तरह आज भी किसी नए जानवर के गुफा में जाने की बारी थी। प्रतिदिन जानवरों के शेर की गुफा में जाने के कारण अब जंगल में कम ही जानवर बचे थे।
जिस कारण आज लोमड़ी बहुत चिंतित थी और लोमड़ी किसी शिकार को शेर की गुफा में भेजने के लिए ढूँढ रही थी। तभी अचानक लोमड़ी ने देखा कि एक बहुत बड़ा सा हिरन जंगल में घूम रहा है।
पहले लोमड़ी ने उस हिरन का शिकार करने के लिए सोचा परंतु वह हिरन, लोमड़ी की अपेक्षा बहुत बड़ा था इसलिए लोमड़ी समझ गई कि लोमड़ी के लिए उस हिरन का शिकार करना सम्भव नहीं है।
फिर लोमड़ी उस हिरन के पास गई, पहले तो हिरन लोमड़ी से डर गया और भागने की कोशिश करने लगा परंतु जैसे ही हिरन भागने की कोशिश कर रहा था, लोमड़ी उस हिरन से बोली – “अरे हिरन तुम डरो मत! मैं हिरन नहीं खाती हूँ इसलिए मैं तुम्हारा शिकार नहीं करूँगी।”
पहले तो हिरन को लोमड़ी की बात पर विश्वास नहीं हुआ परन्तु लोमड़ी ने उस हिरन से शिकार ना करने की बात इतनी चालाकी से कही कि हिरन को लगा शायद लोमड़ी सच कह रही है।
जब लोमड़ी को लगा हिरन लोमड़ी की बातों में आ गया है तो लोमड़ी ने उस हिरन को शेर की आखिरी इच्छा के बारे में बताया कि शेर एक बार सबसे मिलना चाहते हैं।
फिर लोमड़ी ने उस हिरन से कहा -” हिरन क्या तुम शेर से मिलकर आ गए हो?”
हिरन लोमड़ी से बोला – “नहीं मुझे तो शेर से डर लगता है इसलिए मैं तो शेर से मिलने नहीं जाऊँगा।”
यह सुन लोमड़ी हिरन से बोली – “अरे हिरन भाई अब तो शेर बूढ़ा हो गया है और कभी भी मर सकता है अब शेर से क्या डरना! चलो तुम और मैं आज साथ में शेर से मिलने जाते हैं।”
लोमड़ी हिरन से बहुत जिद करने लगी फिर हिरन ने कुछ देर सोचा और फिर हिरन लोमड़ी के साथ शेर से मिलने के लिए जाने लगा।
कुछ देर बाद जब लोमड़ी और हिरन शेर की गुफा के बाहर पहुँच गए तो लोमड़ी ने हिरन से कहा – “जाओ मित्र गुफा में जाकर शेर से मिल लो।”
हिरन लोमड़ी से बोला – “नहीं मुझे तो डर लगता है इसलिए पहले तुम ही शेर की गुफा में जाओ’ और इस बात पर हिरन जिद करने लगा फिर मजबूरन लोमड़ी को हिरन की बात माननी पड़ी।
लोमड़ी ने सोचा मैं शेर के पास जाते ही शेर को पीछे आते हुए हिरन के बारे में बता दूंगी और शेर इस हिरन का शिकार कर लेगा और फिर मेरी भी दवात हो जाएगी।
फिर डरते-डरते लोमड़ी शेर की गुफा में गई और जैसे ही लोमड़ी शेर से कुछ बोलती उससे पहले ही शेर ने लोमड़ी पर हमला कर दिया।
जब शेर लोमड़ी को खा रहा था तो लोमड़ी ने कराहते हुए हिरन को आवाज लगाई और बोली – “हिरन भाई तुम क्यों मेरे पीछे नहीं आए?”
बाहर से हिरन बोला – “लोमड़ी बहन मैं इसलिए तुम्हारे पीछे नहीं आया क्योंकि यहाँ आते ही मैंने शेर की इस गुफा के बाहर जानवरों के पैरों के अंदर जाते हुए निशान तो देखे परंतु गुफा से बाहर आते हुए पैरों के निशान नहीं देखे और मैं समझ गया कि तुम मुझे शेर का शिकार बनाने के लिए लाई हो।”
फिर हिरन वहाँ से भाग गया और शेर ने लोमड़ी को खा लिया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी की भी बात पर अंध विश्वास नहीं करना चाहिए और हर निर्णय अपनी समझदारी और सूझ-बुझ से लेना चाहिए।
पढ़ें व्यापारी और गधा ( पंचतंत्र की कहानी )।
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