प्रेम की समस्या और ऊंट – मजेदार कहानी

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प्रेम की समस्या और ऊंट - मजेदार कहानी

मजेदार कहानी (story motivational hindi) – आज हम आपको “प्रेम की समस्या और ऊंट” नामक मजेदार और मोटिवेशनल कहानी (motivational story in hindi) बताने जा रहे हैं जो एक प्रेरक कहानी / प्रेरणादायक हिंदी कहानी है।

प्रेम की समस्या और ऊंट की कहानी

बहुत पुरानी बात है एक नगर में प्रेम नामक एक युवक रहता था जो अपनी जिंदगी से बड़ा परेशान रहता था उसके साथ आये दिन कोई न कोई नई समस्या उत्पन्न हो जाती थी। वो जैसे ही एक समस्या का समाधान करता वैसे ही नई समस्या की चिंता उसे घेर लेते थी।

दिन बीतते गए पर उसके समस्याएं कम न हुई, इन समस्याओं के तनाव से उसका स्वास्थ्य भी ख़राब रहने लगा। कभी पारिवारिक समस्या तो कभी व्यवसायिक समस्या के कारण वह चिंता से ग्रसित रहता था।

प्रेम को समस्याओं और तनाव में घिरा देख उसके मित्र ने प्रेम से कहा कि नजदीक के ही एक नगर में एक सिद्ध बाबा आये हुए हैं जो कुछ दिन के लिए वहां रुके हुए हैं, अगर प्रेम उनसे जाके अपनी समस्याओं का समाधान मांगे तो शायद उसकी समस्याएं कुछ कम हो जाएँ।

प्रेम को मित्र की बात सही लगी और वह उन सिद्ध बाबा से मिलने नजदीक के गांव चला गया। उसने देखा की बाबा का शिविर बड़ा ही भव्य है जिसमें कई घोड़े, ऊँट और बहु संख्या में उनके अनुयायी हैं। यह देख के प्रेम बड़ा ही खुश हुआ कि बाबा वाकई में सिद्ध पुरुष हैं तभी तो उनका लाव-लश्कर इतना बड़ा है, बाबा निश्चित ही उसकी समस्याओं का समाधान करेंगे।

बाबा के समक्ष कई सारे फरियादी आये हुए थे जोकि कतार लगाए खड़े थे और एक एक करके बाबा के तम्बू में जा रहे थे। कतार इतनी लम्बी थी कि प्रेम का नंबर आते-आते सुबह से शाम हो गयी तब जाकर प्रेम बाबा के समक्ष पहुंचा।

बाबा को प्रणाम कर प्रेम ने अपना सारा दुखड़ा बाबा को बता दिया, प्रेम की समस्या सुन बाबा मुस्कुराये और बोले आज तो काफी देर हो चुकी है और अब हमारे ध्यान लगाने का समय है अतः हम आपसे अनुरोध करेंगे कि हम आपकी समस्या का समाधान कल प्रातः बताएँगे।

साथ ही बाबा ने कहा कि बेटा प्रेम अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपसे एक सहायता मांगना चाहूंगा।

यह सुन प्रेम ने कहा “आज्ञा करें, गुरुवर!”

बाबा ने कहा कि “आज हमारे ऊंटों का ध्यान रखने वाले कामगार का स्वस्थ्य कुछ ख़राब है अतः हम चाहते हैं कि अगर आपको आपत्ति न हो तो आज आप हमारे ऊंटों का भोजन पानी आदि का ध्यान रख लें और जब सब ऊँट बैठ जाएँ तो आप सोने चले जाएँ आपके रहने और सोने का प्रबंध हम यहीं कर देते हैं”

यह सुन प्रेम ने हामी में सर हिलाया और बाबा को प्रणाम कर तम्बू से बाहर चला गया।

प्रेम ऊंटों के पास पहुंचा तो उसने देखा कि वहां तो सौ से भी ज्यादा ऊँट हैं, यह देख वह थोड़ा सा घबराया फिर हिम्मत कर उसने बाबा के शिष्य की मदद से ऊंटों को खाना खिलाया, उन्हें पानी पिलाया और उनके सोने का इंतज़ार करने लगा।

जैसे ही किसी ऊँट को नींद आती वह बैठ जाता था और प्रेम को बाबा ने कहा था कि जब सब ऊँट बैठ जाएँ तब तुम भी सोने जा सकते हो। अब आधी रात हो चुकी थी कुछ ऊँट बैठ चुके थे लेकिन कुछ खड़े थे। अब प्रेम उन खड़े ऊंटों को जबरदस्ती बैठाने लगा।

कुछ ऊँट तो प्रेम के प्रयास के कारण बैठ जाते लेकिन उनके शोर से कुछ बैठे ऊँट खड़े हो जाते, पूरी रात ऐसा ही चलता रहा और ऐसा करते-करते ही रात गुजर गयी और सुबह हो गयी।

सुबह बाबा के ध्यान से बाहर आते ही प्रेम उनके सामने पहुँच गया, प्रेम की हालत देख बाबा सब समझ गए। लेकिन बाबा ने प्रेम से कहा रात को नींद तो अच्छे से आयी होगी न प्रेम ?

बाबा की बात सुन प्रेम अंदर से तिलमिला गया और झुंझला के बोला रात में सोना क्या मुझे तो ठीक से बैठना तक नसीब नहीं हुआ। आपने कहा था कि जब सब ऊँट बैठ जाएँ तब सो जाना पर जैसे ही कुछ ऊँट बैठते थे वैसे ही पहले से बैठे कुछ ऊँट खड़े हो जाते थे।

जब मैं खड़े ऊँटों को बैठाता था वैसे ही नए ऊँट खड़े हो जाते और ऐसा ही पूरी रात होते रहा न ऊँट खुद बैठे न मुझे बैठने दिया।

यह सुन बाबा बहुत हँसे, बाबा को हँसता देख प्रेम शर्म से पानी-पानी हो गया।

बाबा ने फिर कहा “मुझे लगता है तुम्हें अपनी समस्याओं का समाधान कल रात की घटना से मिल गया होगा”

प्रेम ने अचम्भे से बाबा को देखा और कहा कि मैं कुछ समझा नहीं!

बाबा ने कहा “जैसे कल रात कुछ ऊंट अपने आप बैठ गए और कुछ को तुमने बैठा दिया लेकिन कुछ ऊंटों को बैठाने के चक्कर में तुमने कुछ बैठे ऊंटों को खड़ा कर दिया और कुछ ऊंटों को तुम लाख कोशिशों के बाद भी नहीं बैठा पाए।

वैसा ही ठीक तुम्हारी जिंदगी में होता है कुछ समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती हैं, कुछ को तुम ख़त्म कर लेते हो और कुछ को तुम चाहकर भी खत्म नहीं कर पाते हो और उन्हीं समस्याओं को लेकर तुम दुखी होते हो।

इससे अच्छा यह होगा कि तुम जीवन को मजे से हंसी-ख़ुशी जिओ और जिन समस्याओं का समाधान कर सकते हो उनका कर लो और जिनका समाधान नहीं कर सकते हो उनका मत करो और समय के साथ उन समस्याओं का समाधान होने दो। ऐसा करने से तुम दुखी नहीं रहोगे और जीवन का आनंद ले सकोगे।

जीवन में कई समस्याएं ऐसी होती हैं जिनका तुम चाहकर भी समाधान नहीं निकाल सकते हो इसलिए व्यर्थ में अपने कीमती समय और संसाधन उनपर व्यर्थ न करो।

बाबा की बात प्रेम के समझ आ गयी और बाकी का जीवन वह चिंता मुक्त होकर आनंद से जीने लगा।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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