बढ़ता लालच अंत की शुरुआत – प्रेरणादायक कहानी

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बढ़ता लालच अंत की शुरुआत - प्रेरणादायक कहानी

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बढ़ता लालच अंत की शुरुआत

एक समय की बात है एक नगर में एक बहुत ही लालची व्यक्ति रहता था वह हमेशा ही लालच के वशीभूत होकर पर धन कमाने के बारे में ही सोचता था उसका व्यवहार लोगों के प्रति बहुत ही खराब था वह बस अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता था और अपना ही भला चाहता था।

अपने स्वार्थ के आगे वह किसी और की समस्या भी नहीं देखता था, उसे बस अपने धन से ही प्यार था। एक बार इस लालची व्यक्ति को पता चला की उसके नगर में एक सिद्ध सन्यासी आये हुए हैं जोकि सिद्धि प्राप्त हैं। यह जान लालची व्यक्ति के मन में और लालच आ गया की क्यों न इन सन्यासी को खुश किया जाये और इनसे और अधिक धन कमाने का कोई तरीका या आशीर्वाद लिया जाये।

लालची व्यक्ति सन्यासी के पास पहुंचा और उनको अपने घर चलने के लिए मना लिया, अपने घर लाकर उसने कई दिनों तक सन्यासी की खूब सेवा की। सन्यासी एक सिद्ध पुरुष थे वह उस लालची व्यक्ति के इरादों को जानते थ।

इसलिए जाते-जाते सन्यासी ने उस लालची व्यक्ति को 4 दीपक दिए और कहा की जब भी उसे जीवन में कभी लगे की उसके पास धन की कमी है तो वह इनमें से एक दीपक को जलाये और पूर्व दिशा की तरफ तब तक चलता रहे जब तक वह दीपक न बुझ जाये और दीपक के बुझने पर वहां खुदाई करे उसे जमीन के निचे गढ़ा हुआ धन प्राप्त होगा।

और ऐसे ही दूसरे दीपक को उत्तर, तीसरे दीपक को दक्षिण में ले जाये। यह सुन लालची व्यक्ति बोल पड़ा कि मैं समझ गया चौथे दीपक को पश्चिम में ले जाना होगा।

यह सुन सन्यासी बोले कि नहीं कैसी ही विपदा आन पड़े या कैसे ही विषम परिस्थिति हो कभी भी यह चौथा दीपक मत जलाना और पश्चिम दिशा की तरफ इसे ले जाना। यह कहकर सन्यासी वहां से प्रस्थान कर गए।

लालची व्यक्ति ने सन्यासी के जाते ही उसमें से एक दीपक जला दिया और पूर्व दिशा की तरफ चल पड़ा, अपार धन पहले से ही अपने पास होने के बाद भी वह लालची व्यक्ति और धन की लालसा में चल पड़ा। कुछ दूर जाकर एक सुनसान जगह पर वह दीपक बुझ गया। ठीक उसी जगह पर खुदाई करने पर रत्न और सिक्कों से भरा एक घड़ा उस लालची व्यक्ति को प्राप्त हुआ।

उस घड़े को फिर से मिटटी के निचे दबाकर उसने दुसरा दीपक जला लिया और सोचने लगा की यह धन तो उसने खोज ही लिया है बाकि के दीपक जलाकर भी धन खोज लिया जाये बाद में वह इन सबको इक्कठे ले जायेगा।

दूसरा दीपक भी कुछ दूर जाकर एक जंगल में बुझ गया वहां उसने खुदाई करी तो रत्न जड़ित स्वर्ण आभूषणों से भरी एक टोकरी उसे मिली जिसे देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी और फिर उसने उसे भी मिट्टी से ढक कर तीसरा दीपक जला लिया और दक्षिण दिशा की तरफ बढ़ गया।

काफी दूर जाकर वह दीपक भी बुझ गया और वहां खुदाई करने पर हीरे जवाहरातों से भरी एक सिंदूक प्राप्त हुई जिसे देखकर उस लालची आदमी का लालच और बढ़ गया। उसे देखा की हर नए दीपक के साथ ही खजाना बढ़ता जा रहा है तो निश्चित ही चौथे दीपक के बुझने पर उसे अत्यधिक धन की प्राप्ति होगी।

उसने सोचा कि संभवतः वह सन्यासी खुद ही वह चौथे दीपक का खजाना हड़पना चाहता है तभी उसने मुझे वहां जाने से मना किया है और यह सोच उसे तीसरा दीपक जला लिया और पश्चिम दिशा की तरफ बढ़ निकला।

बहुत समय तक चलने के बाद वह घने वन में एक गुफा के पास पहुंचा जहाँ जाकर वह दिया बुझ गया, वहां की जमीन पथरीली थी अतः वहां खुदाई करना असंभव था साथ ही गुफा से एक चमक सी आ रही थी तो वह लालची व्यक्ति उस गुफा में चला गया।

उस गुफा में पहुँचते ही उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा, उसकी आँखें चकाचौंध हो गयी, गुफा अंदर से बहुत बड़ी थी वहां इतना धन था की दोनों हाथों से भर-भर कर खर्च करने के बाद भी इतना धन उसकी सात पीढ़ियां भी न खर्च पाएं। वहां मणि जड़ित आभूषण, सोने-चांदी की अशर्फियाँ, सिक्के, सोने चांदी के बर्तन आदि मौजूद थे।

यह देख वह फूला न समाया तभी उसने देखा कि उसे कुछ लोगों ने घेर लिया है और उनके हाथों में तलवार है कुछ देर में उसे पता चला कि वह गुफा लुटेरों की है जिन्होंने लोगों को लूट-लूट कर इतना धन अर्जित किया है।

उन लुटेरों ने उस लालची व्यक्ति से पूछा की वह वहां तक कैसे पहुंचा लेकिन उस लालची व्यक्ति ने उन्हें इस डर से सच नहीं बताया कि कहीं यह बाकि दबा हुआ धन भी मुझसे न लूट लें। लुटेरों को लगा की यह व्यक्ति अवश्य ही कोई राजा का गुप्तचर है जोकि उन्हें पकड़वाने यहाँ आया है।

लालची व्यक्ति बोलता रहा की वह नगर का धनवान व्यक्ति है और वह उन्हें बहुत धन देगा लेकिन यह बात लुटेरों के गले नहीं उतरी की एक धनवान व्यक्ति जंगल के इतने अंदर भला क्यों आएगा अवश्य ही यह गुप्तचर है जो हमें अपनी चाल में फंसाकर हमें पकड़वाना चाहता है।

लुटेरों में से एक लुटेरे ने न आव देखा न ताव और तलवार से वार करके उस लालची व्यक्ति का सर धड़ से अलग कर दिया। अधिक और अधिक धन के लालच की वजह से उस लालची व्यक्ति की जान चली गयी और खुद कमाया हुआ और सन्यासी की मदद से प्राप्त किया हुआ धन भी उसके काम न आया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कई बार जीवन में हमें अच्छा अवसर प्राप्त होता है लेकिन उससे और अच्छे अवसर की तलाश में हम आगे बढ़ जाते हैं और मिले हुए अवसर को ठुकरा देते हैं और बाद में पछताते हैं जबकि हम ज्यादा लालच न करते हुए हर अवसर का लाभ उठायें तो हमें कभी हार या निराशा का सामना न करना पड़े।

इसलिए लालच न रखें अपनी मेहनत और समझदारी पर भरोसा रखें और सही अवसर प्राप्त होने पर उसका लाभ उठायें।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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