पलाश के फायदे और नुकसान – Palash Benefits

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पलाश के फायदे और नुकसान

पलाश के फायदे और नुकसान ( Palash ke fayde aur nuksan ) : पलाश के फायदे और नुकसान बहुत से हैं। पलाश को अंग्रेजी में (Tesu) कहते है। पलाश की तासीर गर्म मानी जाती है। पलाश एक भारतीय मूल का पेड़ है जो पुरे भारत में पाया जाता है। पलाश के फूल लाल रंग के होते हैं और इनके खिलते ही पूरा पेड़ लाल रंग का दिखता है जिसके कारण इसे ‘जंगल की आग’ के नाम से भी जाना जाता है।

पलाश के फायदे और नुकसान (Advantages and disadvantages of Palash in hindi)

पलाश का पेड़ कई औषधीय गुणों में भरपूर होता है जिसके लगभग सभी हिस्से को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के घरेलु इलाज के लिए किया जा सकता है।

अन्य भाषाओं में पलाश के नाम –

पलाश को संस्कृत में किंशुक (Kinshuka), रक्तपुष्पक (raktpushpak), वाततोय (Vatteya) एवं ब्रह्मवृक्ष (Brahmvriksh), ओड़िआ में पोलासो (Polaso), गुजराती में खाखड़ा (Khakda), बंगाली में पलाश गाछ (Palash gach), तमिल में पलासु (Palasu), कन्नड़ में मोदुगु (Modugu), मलयालम में किमशुकम (Kimshukam), मराठी में पलस (Palas) एवं तेलुगु में मोडूगा (Moduga) कहते हैं।

पलाश के सेवन का तरीका –

पलाश के फूलों को रात में भिगोकर सुबह उस पानी का, पलाश के फूलों को सुखाकर इसका पाउडर बनाकर, पलाश के सप्लीमेंट दवा, पलाश की पत्तियों का जूस बनाकर,

पलाश में पाए जाने वाले पोषक तत्व –

पलाश के फूल में- फ्लेवोनॉयड्स, आइसोबुट्रिन, कोरोप्सिन, ट्राइटर पेन, सल्‍फरिन और आइसोकोरोप्सिन मौजूद होते हैं।

पलाश की पत्तियों में- लिनोलिक एसिड, ओलिक एसिड, ग्लू कोसाइड एवं लिन्‍गोसेरिक एसिड जैसे गुण पाए जाते हैं।

पलाश की छाल में- गैलिक एसिड,  पैलेसिट्रीन, पैलेससिमाइड, सायनाइडिंग, ब्‍यूटोलिक एसिड एवं लुपेनोन की मात्रा पायी जाती है।

पलाश के फायदे (Benefits of Palash in hindi)

  • पलाश का सेवन करने से पेट संबंधी विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है। पलाश के बीज का उपयोग पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में बेहद मददगार माने जाते हैं। पलाश के इस्तेमाल से पेट में दस्त जैसी समस्या उत्पन्न नहीं होती। इसके अलावा पलाश के बीज पेट के कीड़े की समस्या से भी राहत दिलाने का कार्य करते हैं जिससे कई गंभीर बीमारियों की समस्या से बचा जा सकता है।
  • पलाश के इस्तेमाल से मधुमेह की समस्या से बचा जा सकता है। पलाश के अर्क में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं जो मधुमेह जैसी बीमारी को संतुलित करने का कार्य करते हैं। एक शोध के अनुसार लगातार 14 दिनों तक लगभग 200 मिलीग्राम पलाश का उपयोग करने से रक्त में शुगर एवं सीरम कोलेस्ट्रॉल दोनों को स्तर नियंत्रित रहता है। मधुमेह के रोगियों को पलाश के सेवन से बहुत फायदा मिलता है।
  • पलाश के इस्तेमाल से रक्त साफ होता है जिससे कई प्रकार की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। गलत खान-पान, अनियमित जीवनशैली, शराब एवं जंक फूड्स के सेवन से रक्त में गंदगी जमा हो जाती है जिसके कारण कील-मुंहासे, रैशेज एवं एलर्जी आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में रक्त को साफ करने की आवश्यकता होती है जिसके लिए पलाश को एक बेहतर विकल्प माना जाता है। पलाश की छाल के उपयोग से रक्त को साफ करने में बहुत मदद मिलती है।
  • पलाश के उपयोग से पुरुषों में यौन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। पलाश के अर्क में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटाकर यौन संबंधी समस्या में राहत दिलाते हैं। इसके अलावा पलाश का फूल शरीर में एंड्रोजन (Androgen) एवं नाइट्रिक ऑक्साइड (Nitric oxide) के स्तर में भी वृद्धि लाते हैं जिससे नपुंसकता की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • पलाश के इस्तेमाल से त्वचा संबंधी संक्रमण के प्रभाव को कम करने में आसानी होती है। रिंगवर्म यानी दाद एक प्रकार का संक्रमण होता है जो फंगस के कारण पैर, गला, स्केल्प या शरीर की किसी अन्य जगहों पर हो सकता है। पलाश के फूल एवं पलाश के पेड़ से निकलने वाले रस (Gum) त्वचा संबंधी संक्रमण के प्रभाव को कम करने में बेहद प्रभावशाली माना जाता है। इसके अलावा पलाश  में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं जिससे त्वचा पर संक्रमण फैलाने वाले फंगस को नष्ट करने में आसानी होती है।
  • पलाश के फूल का सेवन करने से पाइल्स यानी बवासीर की समस्या में जल्द राहत मिलती है। पाइल्स जैसी समस्या में मलद्वार के आस-पास मस्से निकल आते हैं जिसमें मल त्यागते समय अत्यधिक दर्द, खून एवं सूजन की समस्या का सामना करना पड़ता है। पलाश के सूखे हुए फूल के पाउडर में मैंगनीज की मात्रा पायी जाती है जो पाइल्स के लक्षणों को कम करने में बेहद मददगार साबित होते हैं।
  • पलाश के फूल का सेवन करने से बुखार जैसी समस्या में जल्द राहत मिलती है। बुखार की स्थिति में शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है जिसके कारण बुखार की समस्या का सामना करना पड़ता है। पलाश के फूल में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक गुणों के प्रभाव से बुखार के साथ-साथ अन्य शारीरिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
  • पलाश की छाल का जूस के सेवन से घेंघा (Goiter) जैसी बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है। घेंघा एक ऐसी बीमारी है जिसमे थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है जिसके कारण उसका आकार बढ़ जाता है। इस बीमारी के दौरान खांसी, गला बैठ जाना, सांस लेने में तकलीफ एवं खाना निगलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पलाश की छाल के जूस पीने से थायरॉइड हॉर्मोन नियंत्रित रहता है जिससे घेंघा की समस्या में राहत मिलती है।

पलाश के नुकसान (Losses of Palash in hindi)

  • गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पलाश के बीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। पलाश के बीज में गर्भ निरोधक गुण पाए जाते हैं जिससे गर्भवती महिलाओं एवं गर्भ धारण करने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • एलर्जी की समस्या वाले लोगों को पलाश के अधिक सेवन से बचना चाहिए।

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