अधूरा सच झूठ से ज्यादा खतरनाक (हिंदी कहानी)

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अधूरा सच झूठ से ज्यादा खतरनाक (हिंदी कहानी)

अधूरा सच झूठ से ज्यादा खतरनाक प्रेरणादायक हिंदी कहानी : प्रेरणादायक हिंदी कहानियां और ज्ञानवर्धक हिंदी कहानियां, युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी, मजेदार कहानी। आज हम आपको “अधूरा सच झूठ से ज्यादा खतरनाक” कहानी सुनाने जा रहे हैं कि कैसे आधा-अधूरा सच झूठ से भी ज्यादा खतरनाक होता है।

अधूरा सच झूठ से ज्यादा खतरनाक

एक सरकारी दफ्तर में चेतन नामक व्यक्ति नौकरी करता था और उसके उच्च अधिकारी का नाम उद्धव था। चेतन काफी मेहनती और कर्त्तव्यनिष्ठ आदमी था जो समय पर अपने सभी काम किया करता था। लेकिन चेतन का उच्च अधिकारी उद्धव, चेतन को कुछ खास पसंद नहीं करता था।

अतः चेतन का उच्च अधिकारी उद्धव छोटी-छोटी गलतियों पर भी चेतन को खूब डांट दिया करता था। उच्च अधिकारी से डर के कारण चेतन काफी कुछ न कह पता था और हर बात सह लिया करता था।

समय बीतता गया, एक दिन किसी कारणवश चेतन समय पर दफ्तर नहीं पहुँच पाया। उच्च अधिकारी उद्धव काफी समय से चेतन की किसी गलती का इंतजार कर रहा था ताकि कर्मचारी व्यवहार के रजिस्टर में चेतन की किसी गलती को लिखा जाये ताकि भविष्य में होने वाले प्रमोशन (तरक्की) में चेतन को हानि हो।

अतः आज वह मौका आ गया था चेतन के देर से ऑफिस आने पर उद्धव ने उसे अपने केबिन में बुलाया और खूब डांटा और उसी के सामने कर्मचारी व्यवहार रजिस्टर में लिखा कि “आज चेतन देर से ऑफिस आया।”

यह देख चेतन ने कहा कि सर यह तो अधूरा सच है कृपया पूरी बात लिखें की “पिछले पांच सालों में चेतन पहली बार लेट ऑफिस आया।”

यह सुन चेतन के उच्च अधिकारी उद्धव ने चेतन को और भला बुरा कहा और अपने केबिन से निकाल दिया।

समय बीतता गया और चेतन पहले की ही तरह समय पर अपना काम करता रहा। एक दिन विभाग की तरफ से सभी कर्मचारियों को एक पत्र आया जिसमें उनके उच्च अधिकारीयों के व्यवहार की जानकरी उसमें लिखनी थी।

अब मौका चेतन के हाथ में आया वह अपने उच्च अधिकारी उद्धव के केबिन में गया और उनको बता के पत्र के जवाब में लिखा कि “आज उच्च अधिकारी उद्धव जी समय पर ऑफिस आये।”

यह देख अधिकारी उद्धव को बहुत बुरा लगा और बोला कि “यह तुम क्या लिख रहे हो, यह पढ़के तो ऐसा लग रहा है बस आज ही मैं समय पर ऑफिस आया हूँ और हमेशा देर से ही ऑफिस आता हूँ। यह तो तुम अधूरा सच लिख रहे हो यह बात तो गलत है।”

इस पर चेतन ने कहा कि “सर, यही बात तो मैं आपको उस दिन समझा रहा था जिस दिन आपने में देर से ऑफिस आने पर आपने कर्मचारी रजिस्टर में आधी बात लिखी थी। अगर आपने उस दिन पूरी सच बात लिखी होती तो आज मुझे यह न लिखना पड़ता।”

उच्च अधिकारी उद्धव को अपनी गलती का एहसास हो गया था उसने चेतन से माफ़ी मांगी और कर्मचारी रजिस्टर में पूरी बात लिखी।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई बार आधा अधूरा सच बड़े से बड़े झूठ से भी ज्यादा खतरनाक होता है। इसलिए सच को सदैव पूरा होना चाहिए नहीं तो आधी अधूरी बात के कारण अर्थ का अनर्थ हो सकता है।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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