अनोखा कबूतर और हंसों का राजा

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अनोखा कबूतर और हंसों का राजा

अनोखा कबूतर और हंसों का राजा की कहानी हिंदी में – बहुत समय पहले की बात है किसी जंगल में एक अनोखा कबूतर रहता था और वह कबूतर अपनी उड़ान से बहुत सारे करतब करता था। कबूतर को लगता था कि केवल वही इसी तरह के करतब कर सकता है।

कबूतर दिन भर आसमान में घूम-घूम कर करतब करते रहता था और अनोखे करतब करने से कबूतर में दिन – प्रतिदिन घमंड भी बड़ता जा रहा था जिस कारण अब कबूतर अपने से छोटे पक्षियों का मजाक भी उड़ाया करता था।

एक दिन कबूतर आसमान में करतब कर रहा था और कबूतर ने देखा कि नीचे एक तालाब के पास बहुत सारे हंस पानी पी रहे हैं। कबूतर में बहुत अभिमान आ गया था जिस कारण कबूतर उन हंसों को अपने करतबों से नीचा दिखाना चाहता था।

नीचा दिखाने के उद्देश्य से कबूतर उन हंसों के पास गया और उन हंसों के सामने करतब करने लगा। कबूतर के करतब देखकर हंस बहुत खुश हो गए और कबूतर की प्रशंसा करने लगे।

यह देखकर कबूतर खुश हो गया और कबूतर उन हंसों से बोला – “मैं तुम सबसे अच्छे करतब कर सकता हूँ तो क्यों न तुम मुझे अपना राजा मान लो।”

तुम्हारे राजा मुझे नहीं लगता मुझसे अच्छे करतब दिखा सकते हैं और राजा को तो हर चीज में निपुण होना चाहिए तभी तो वह राजा कहने के लायक है।

उस हंस के झुण्ड में बहुत से छोटे हंस थे तो वह छोटे हंस उस कबूतर की बातों में आ गए और कहने लगे – “हाँ, हमें एसा ही राजा चाहिए जो बहुत सारे करतब दिखा सके।”

यह सब सुनकर हंसों का राजा बोला कि “यह कैसे संभव है कि हंसों का राजा एक कबूतर हो? यह कभी नहीं हो सकता है! आप सब व्यर्थ की बातें ना करें”

परंतु छोटे हंस उस कबूतर के करतबों से बहुत प्रभावित हो गए थे जिस कारण छोटे हंस कबूतर को राजा बनाने की जिद करने लगे।

यह देखकर कबूतर हंसों के राजा से बोला – “हम एक करतबों की प्रतियोगिता कर लेते हैं जिसमें जो करतब मैं करूँगा वही आपको करने होंगे और फिर जो करतब आप करोगे वही मुझे करने होंगे और जो इस प्रतियोगिता में जीतेगा वह अब से हंसों का राजा होगा।”

हंसों के राजा इस प्रतियोगिता के लिए तैयार हो जाता हैं और कुछ देर बाद ही हंसों के राजा और कबूतर के बीच प्रतियोगिता शुरु हो जाती है।

कबूतर अपने नए- नए करतब करने लगता है और इस समय कबूतर के करतब बहुत ही अनोखे और कठिन थे, जिन्हें देखकर हंसों के राजा का मनोबल कमजोर हो रहा था परंतु हंसों के राजा इस चुनौती से भागे नहीं।

कुछ देर बाद कबूतर ने अपने सारे करतब दिखा दिए और अब उन करतबों को करने की बारी हंसों के राजा की थी।

हंसों के राजा ने अपनी पूरी कोशिश की परन्तु हंसों के राजा से कबूतर की तरह अनोखे करतब नहीं हुए जिसे देखकर कबूतर हंसों के राजा से बोला- देख लिया आपने! आपसे मेरे करतब नहीं होंगे और अब आप भी मुझे ही अपने इस हंसो के झुण्ड का राजा मान लीजिए।

हंसों के राजा मुसकुराए और कबूतर से बोले – “हाँ कबूतर आप सही कह रहे हैं, मुझसे आपकी तरह अनोखे करतब नहीं हो सकते परंतु यदि अब जो करतब मैं करूँगा वही आप कर लोगे तो फिर मैं निश्चित ही आपको अपना राजा मान लूँगा।”

कबूतर में बहुत घमंड था तो कबूतर को लगा कि ऐसा तो कोई करतब हो ही नहीं सकता जिसे वह कबूतर नहीं कर सकता है और कबूतर हंसों के राजा से बोला – “ठीक है अब आप अपने करतब दिखा दीजिए।”

फिर हंसों के राजा आसमान में उड़ना शुरू करते हैं और हंसों के राजा के पीछे कबूतर उड़ने लगता है। बहुत देर तक हंस के पीछे कबूतर उड़ता रहा और हंस के राजा के करतब करने का इन्तज़ार करता रहा परंतु हंस के राजा बस उड़ते जा रहे थे।

धीरे- धीरे बहुत समय बीत गया और कबूतर बहुत थक गया। कबूतर बार- बार जहाँ पानी दिखता वहाँ पानी पीने नीचे जाता और बड़ी मुश्किल से फिर ऊपर हंसों के राजा के पीछे उड़ने लगता।

अब कबूतर बहुत थक गया और हंसों के राजा से बोला – “राजा जी मुझे माफ़ कर दीजिए मैं समझ गया हूँ कि मुझे करतब आते हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि मैं सब कर सकता हूँ और अब मैं ज्यादा उड़ नहीं सकता कृपया आप मुझे वापस ले चलिए।”

हंसों के राजा को कबूतर पर दया आ गयी और हंसों के राजा कबूतर को अपनी पीठ पर बैठाकर वापस ले आये।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम किसी कार्य में निपुण हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य व्यक्ति में कोई भी निपुणता नहीं है। हर व्यक्ति हर कार्य में निपुण नहीं होता परंतु हर व्यक्ति किसी ना किसी कार्य में निपुण अवश्य होता है।

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