अंध अनुसरण – प्रेरक हिन्दी कहानी (Andha Anusaran – Prerak Kahani) : एक नए आर्मी कैम्प में नए कमांडर की पोस्टिंग हुई। कमांडर ने कैंप का इंस्पेक्शन करने की सोची, कैम्प के इंस्पेक्शन के दौरान कमांडर ने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में एक बैंच पड़ी यही और दो सिपाही उस बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं।
कमांडर उन सिपाहियों के पास गया और सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ?
उनमें से एक सिपाही बोला : हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले कमांडर साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था और ऐसा कई सालों से होता आ रहा है। शायद ये इस कैम्प की परंपरा है या यह इस कैंप की कोई खास बेंच है इसलिए शिफ्ट बदल-बदल कर चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी होती आ रही है।
कमांडर को बात कुछ अटपटी लगी वह असमंजस में पड़ गए कि बेंच में ऐसा क्या खास है जो इतनी खास तरीके से इसकी रखवाली की जाती है।
वर्तमान कमांडर ने अपने से पिछले कमांडर को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी?
पिछले कमांडर ने जवाब दिया : मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले कमांडर उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे। अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा।
वर्तमान कमांडर को जवाब अभी भी नहीं मिला था कि बेंच क्यों खास है कि उसकी पहरेदारी की जाये। अतः कमांडर ने पिछले के और पिछले-पिछले 4-5 कमांडरों से बात की लेकिन सबने एक ही जवाब दिया कि पिछले कमांडर भी ऐसा ही करते थे और पहले से ही ऐसा होता आ रहा है अतः हमने भी उसी परंपरा को जारी रखा हुआ है।
वर्तमान कमांडर ने ठान ली थी कि अब वह इस बेंच का राज जानकर ही रहेंगे अतः उन्होंने कैंप के रिकॉर्ड चेक करवाए और यह पता लगाने को कहा की यह बेंच यहाँ कब लगी है और उस समय यहाँ के कैंप कमांडर कौन थे।
रिकार्ड्स में पता चला की बेंच लगे 40 साल से ज्यादा हो चुके हैं और जिन कमांडर के दौरान बेंच लगी थी वह 30 साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं। अतः वर्तमान कमांडर ने रिटायर कमांडर का नंबर पता करवाकर उनको फ़ोन किया और बेंच की सुरक्षा क्यों की जाती है उसका कारण पूछा।
रिटायर कमांडर ने चौंक कर पूछा “क्या, उस बेंच का कलर आज तक नहीं सूखा !!, मेरे समय वह बेंच वहां लगी थी और उस पर कलर हुआ था गलती से कोई उस पर बैठ न जाये और कलर ख़राब न हो यह सोच कर मैंने दो सैनिकों को वहां लगाया था और अगले दिन मैं उस कैंप से दूसरे कैंप में चला गया था क्योंकि मेरा तबादला हो चूका था”
वर्तमान कमांडर को पूरी बात समझ आ चुकी थी कि कैसे मात्र एक दिन के लिए मिले आदेश को उनके सैनिकों ने गलत समझा और एक बिना मतलब की परंपरा आगे बढ़ती चली गयी। बिना बात को जाने समझे लोग उसे आगे बढ़ाते चले गए।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी परंपरा के पीछे का कारण जाने बगैर बिना बात उसका अनुसरण करते रहने से अंध-अनुसरण प्रारंभ हो जाता है और अंध अनुयायी ना बने किसी भी परंपरा के पीछे का इतिहास और तर्क जाने बगैर उसका अनुसरण करना गलत होता है। तर्क करें और सही कारण समझ आने के बाद ही चले आरहे नियम, कानून और रीति-रिवाज का अनुसरण करें।
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