सच्चा मित्र, रेत और पत्थर – सीख देने वाली कहानी

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सच्चा मित्र, रेत और पत्थर - सीख देने वाली कहानी

सीख देने वाली कहानी, ज्ञान देने वाली कहानी “सच्चा मित्र, रेत और पत्थर – सीख देने वाली कहानी” आज हम बताने जा रहे हैं बच्चों की सीख वाली कहानी, जीवन की सीख कहानी, ज्ञान देने वाली कहानी। story in hindi for kids (स्टोरी इन हिंदी फॉर किड्स) इस हिन्दी कहानी को पढ़कर आपको अवश्य ही सीख मिलेगी।

सच्चा मित्र, रेत और पत्थर

एक बार मोहन और चेतन नाम के दो मित्र थे, वह बचपन से ही साथ पढ़े थे और बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दोनों दोस्त समुद्र के किनारे टहल रहे थे तभी दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हो गयी। बहस इतनी बढ़ गयी कि मोहन ने झुंझलाकर चेतन को थप्पड़ मार दिया।

इस पर चेतन को बहुत गुस्सा आया और उसने पत्थर उठा लिया और रेत पर लिखा कि “मेरे दोस्त ने आज मुझे थप्पड़ मारा।”

मोहन यह सब देख रहा था पर उसकी कुछ समझ नहीं आया की आखिर चेतन ने यह सब किया क्या है।

इस बात को काफी दिन बीत गए एक दिन फिर मोहन और चेतन साथ में घूम रहे थे। वह टहलते-टहलते नदी के पास पहुंच गए, चेतन ने मोहन से कहा कि चलो नदी में नहाते हैं। मोहन ने मना किया कि उसका मन नहीं है चेतन तुम ही जाओ।

चेतन नदी में नहाने चला गया और मोहन नदी किनारे बैठा रहा, तभी मोहन को चेतन के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। मोहन ने देखा कि चेतन नदी में गहरी तरफ चला गया है और डूबने के कारण बचाओ-बचाओ चिल्ला रहा है।

मोहन ने आव देखा न ताव और पानी में छलांग लगा दी। मोहन, चेतन को अपनी जान पर खेलकर नदी से बाहर ले आया। चेतन ने अपनी जान बचाने के लिए मोहन का धन्यवाद किया और जल्दी से उठकर एक पत्थर पर लिखा कि “आज मेरे दोस्त ने मुझे डूबने से बचाया”।

यह देख मोहन पूछे बिना नहीं रह सका कि एक दिन जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा था तो तुमने रेत पर लिखा तथा कि “मेरे दोस्त ने आज मुझे थप्पड़ मारा” और आज तुमने पत्थर पर लिखा कि “आज मेरे दोस्त ने मुझे डूबने से बचाया”, ऐसा क्यों ?

इस पर चेतन ने जवाब दिया कि “जब तुमने मुझे थप्पड़ मारा तो यह बात मैंने रेत पर लिखी ताकि कुछ समय बाद मैं यह बात भूल जाऊँ और जब तुमने मेरी जान बचाई तो यह बात मैंने पत्थर पर लिखी ताकि यह बात मैं कभी न भूलूँ।”

यही बात यथार्थ जीवन में भी हमें करनी चाहिए कि किसी के दिए हुए दुखों को भूल जाना चाहिए और उसने हमारे लिए क्या-क्या अच्छा किया है यह याद रखना चाहिए। साथ ही दर्द और तकलीफ देने वाली बातें भूल जानी चाहिए और ख़ुशी और आनंद देने वाली बातें याद रखनी चाहिए।

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