कंपवात का आयुर्वेदिक उपचार ( kampwaat ka aayurvedik upchar ) : कंपवात का आयुर्वेदिक उपचार कई होते है। कंपवात एक प्रकार की बीमारी है जिसमें शरीर का कोई अंग या पूरे शरीर में कंपन होने लगता है जिसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होता है।
कंपवात तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की हानि होने पर उत्पन्न होता है जो सामान्यतः बड़े बुजुर्गों में अधिक दिखाई देता है। कंपवात रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। कंपवात का आयुर्वेदिक उपचार की विस्तृत जानकारी आगे दी गयी है –
कंपवात के लक्षण
कंपवात के लक्षण निम्नलिखित है –
- पहले एक हाथ में कम्पन शुरू होता है जो उस तरफ के पैर को भी जकड़ लेता है। ऐसे ही धीरे-धीरे यह पूरे शरीर को जकड़ लेता है जिससे पूरा शरीर काँपने लगता है।
- चेहरे की मांसपेशियों में कठोरता आना।
- धीरे और कम कदमों में चलना और कमर में झुकाव होना।
- चेहरे के भावों में परिवर्तन आना।
- पलकों के झपकने में कमी आना।
- तनाव और अवसाद की समस्या।
- मनो स्थिति में अस्थिरता
- कन्फ्यूजन रहना।
- कब्ज की समस्या
- निगलने में परेशानी होना
- बात करने में परेशानी होना
कंपवात के आयुर्वेदिक उपचार (कंपवात की आयुर्वेदिक दवा)
कंपवात के आयुर्वेदिक उपचार में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य व्यक्ति का भोजन है। कंपवात रोग के दौरान पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन करना बेहद जरुरी होता है। कंपवात में लहसुन, घी, तगर, ब्राह्मी, अश्वगंधा, आत्मगुप्ता जैसी कई औषधियों को सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। इन औषधियों में ऐसे तत्व मौजूद होते है जो तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करके शरीर को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करते है।
कंपवात का घरेलू उपचार
कंपवात के घरेलू उपचार में उन सभी घरेलू औषधियों को अपनाया जाता है जो कंपवात के उपचार के लिए लाभदायक होती है।
- कंपवात रोग में लहसुन का सेवन करना हितकारी है। लहसुन को आग में पकाकर या इसे दाल या किसी भी व्यंजन में डालकर खाने से कंपवात रोग की समस्या ठीक हो जाती है। इसके अलावा कंपवात में लहसुन के रस की मालिश करने से भी लाभ होता है।
- कंपवात की समस्याओं को दूर करने के लिए तगर का उपयोग लाभदायक होता है। तगर के चूर्ण को यशद भस्म के साथ मिलाकर इसका सुबह-शाम सेवन करने से कंपवात के रोगियों को लाभ होता है। तगर भस्म कंपवात में होने वाले कंपन को ठीक करने में मददगार है।
- कंपवात के घरेलू उपचार में घी बेहद लाभदायक होता है। 40 मिली दूध के चार भाग बना लें अब इस चारों भागों में लगभग 10 ग्राम शुद्ध गाय का घी मिलाएं और इसे धीमी आंच में पकाएं। अब दूध के इन चारों भागों में असगंध नागौर का चूर्ण मिला लें और इसका रोज दिन और शाम को सेवन करें। ऐसा करने से कंपवात की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
- कंपवात के रोगियों के लिए कुचला अच्छा माना जाता है। कुचले के चूर्ण की लगभग एक ग्राम मात्रा का रोजाना सेवन करने से कंपवात में कमी आती है। इसके अलावा ब्राह्मी के ताजे पत्तों का सेवन करना भी कंपवात के रोगियों के लिए लाभदायक होता है।
- कंपवात में असगंधनागौरी का इस्तेमाल करना लाभदायक होता है। असगंधकनागौर को 3 से 6 की मात्रा में लेकर इसमें गाय का घी मिलाएं और एक गिलास मिश्री मिले दूध के साथ मिलाकर इसे पकाएं। अच्छी तरह पक जाने के बाद इसका प्रतिदिन सेवन करें इससे कंपवात की समस्या खत्म हो जाती है।
- कंपवात में जटामांसी का सेवन करें। जटामांसी की थोड़ा मात्रा लेकर इसे फेंट लें और इसका रोजाना दो से तीन बार सेवन करें इससे कंपवात के रोगियों को लाभ होता है। इसके अलावा भांगरा बीज के चूर्ण को दूध में मिलाकर इसका प्रतिदिन सेवन करने से भी शरीर कांपना बंद हो जाता है।
- कंपवात के रोग को दूर करने और इससे सुरक्षित रहने के लिए बड़ी हरड़ का सेवन करना भी हितकारी होता है। हाथ, पैर और शरीर में कंपन की परेशानी होने पर बड़ी हरड़ के चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर खाने से यह समस्या ठीक हो जाती है।
- कंपवात के आयुर्वेदिक उपचार में सौंठ का उपयोग भी रोग को खत्म करने में मददगार होता है। सौंठ के चूर्ण का प्रतिदिन सुबह शाम सेवन करने से कंपवात के रोगियों को लाभ होता है। इसके अलावा महा नींबू के 10 से 20 मिलीलीटर पत्तों के रस को सुबह-शाम पीने से हाथ-पाव कांपना बंद हो जाता है।
- कंपवात में निर्गुण्डी के पत्तों का उपयोग करना फायदेमंद होता है। निर्गुण्डी की जड़ और ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें तिल का तेल मिलाकर गर्म करके सुबह शाम हाथ पाव की मालिश करें। इससे कंपवात रोग की ठीक हो जाता है।
कंपवात की आयुर्वेदिक दवा
- कंपवात की आयुर्वेदिक दवा के रूप में लहसुन की खीर बनाकर खाई जा सकती है। लहसुन की खीर बनाने के लिए दस ग्राम लहसुन की कलियां, सौ मिली दूध और तीन सौ मिली पानी ले लें। सबसे पहले लहसुन की कलियों को बारीक पीस लें। अब इस लहसुन के पेस्ट को किसी स्टेनलैस स्टील के बर्तन में डालकर दूध और पानी के साथ धीमी आंच में पकाएं। इस मिश्रण को तब तक पकने दें जब तक केवल दूध न रह जाए अब इस मिश्रण को छान लें और इसमें चीनी और शहद मिलाकर सेवन करें।
- कंपवात की आयुर्वेदिक दवा के लिए बादाम गिरी, अखरोट, चार मगज और खसखस ले लें। अब इन सबको साथ में मिलाकर रात को भिगो लें। सुबह इस भीगे हुए मिश्रण को खरल और कुंडी में घोटें और अच्छी तरह घोट लेने के बाद इसका प्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करें इससे कंपवात की परेशानी दूर होगी।
कंपवात के अन्य उपचार
- कंपवात के रोगी रात में सोने से पहले नाक में दो बूँद शुद्ध घी की डालें।
- रात को सोने से पहले नाभि में सरसों का तेल डालें।
- गेहूं के ज्वारों का रस पिएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। इसके लिए अनुलोम विलोम, उद्गीथ और भ्रामरी जैसे योग करना लाभदायक होता है।
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