अंतिम पांच मिनट – प्रेरणादायक कहानी

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अंतिम पांच मिनट - प्रेरणादायक कहानी

प्रेरणादायक कहानी (story motivational hindi) – आज हम आपको “अंतिम पांच मिनट” मोटिवेशनल कहानी (motivational story in hindi) बताने जा रहे हैं जो एक प्रेरक कहानी / प्रेरणादायक हिंदी कहानी है।

अंतिम पांच मिनट – प्रेरणादायक कहानी

एक बार की बात है एक आदमी रेगिस्तान में रास्ता भटक गया और पानी की प्यास के कारण अचेत एवं मरणासन्न अवस्था में पहुँच गया। तभी वहां एक यमदूत प्रकट हुआ जिसने उस व्यक्ति को पानी पिलाया और वह व्यक्ति होश में आ गया।

होश में आकर व्यक्ति ने उस यमदूत का धन्यवाद कहा और उसकी ज़िंदगी बचाने के लिए उसका शुक्रिया अदा किया। यह सुन यमदूत मुस्कुरा दिया और बोला कि मैं एक यमदूत हूँ और मैं यहाँ तुम्हारी जान बचाने नहीं बल्कि लेने आया हूँ।

यह सुन आदमी चौंक गया और घबराकर रोने लगा और अपनी जान की भीख मांगने लगा। यह देख यमदूत को दया आ गयी और उसने कहा कि माफ़ करना मैं तुम्हारे प्राण तो नहीं लौटा सकता हूँ हालाँकि मैं तुम्हारे लिए बस इतना कर सकता हूँ की तुम अपने गुजरे हुए जीवन में कुछ बदलना चाहते हो तो बदल सकते हो।

मैं तुम्हें यह किताब और पांच मिनट दे रहा हूँ यह तुम्हारे जीवन की किताब है जिसमें तुम्हारी ज़िंदगी की यादें कैद हैं अगर तुम इस सब में कुछ बदलना चाहते हो तो बदल सकते हो। पर याद रखना सिर्फ पांच मिनट हैं तुम्हारे पास उसके बाद मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूंगा और तुम्हारे प्राण हर लूंगा।

यह बोलकर यमदूत वहां से दूर चले गया और उस व्यक्ति ने भी हाँ में सर हिलाया।

व्यक्ति ने किताब खोली और देखा की उसमें वो और उसके पड़ोसी दम्पति की भी यादें हैं और वह बहुत खुश हैं, वह आगे बढ़ा उसमें उसके दूसरे पड़ोसी दम्पति के बारे में लिखा था ऐसे ही वह आगे बढता गया और उसकी अपने पड़ोसियों को लेकर ईर्ष्या बढ़ती चले गयी।

अब क्योंकि उसके पास नियति की किताब थी जिसमें वह जो चाहे बदल सकता था तो उसने अपने पड़ोसियों का जीवन अपने जानकर लोग जिनसे वह ईर्ष्या करता था और जिनके प्रति द्वेष की भावना रखता था, उनके जीवन को बिगड़ने में लगा रहा और जैसे ही वह यह सब करके अपनी यादों की तरफ पढ़ा और उसमें कुछ सुधार करना चाहा तभी उसने देखा कि पांच मिनट गुजर चुके थ।

यमदूत तेजी से उसके प्राण हरने के लिए उसके पास आ रहा था। अब वह रोने लगा और सोचने लगा कैसे उसने अपने अंतिम पांच मिनट भी दूसरों का बुरा चाहने में गुजार दिए जबकि वह इन अंतिम पांच मिनट में अपने जीवन में कई सुधार कर सकता था। देखते ही देखते यमदूत ने उसके प्राण हर लिये और वह सिवाय रोने के और दूसरों की ज़िंदगी ख़राब करने के कुछ न कर सका।

ऐसा ही कुछ हमारी असल ज़िंदगी में होता है जिसमें हम अपने आसपास वालों से ईर्ष्या करने और द्वेष की भावना रखने, उनका बुरा चाहने में अपनी ज़िंदगी को बेहतर और अच्छा बनाने का अनमोल समय व्यतीत का देते हैं और बाद में पछताते हैं कि काश हम सही समय पर चेत जाते तो शायद आज ज़िंदगी कुछ और होती।

इसलिए दूसरों से जलने और द्वेष रखने के बजाये सबका भला करें, खुश रहें और लोगों को खुश रहने दें अपने लाभ के लिए कभी किसी का नुकसान न करें।

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