किसका नसीब – एक रोचक कहानी

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किसका नसीब - एक रोचक कहानी

किसका नसीब – एक रोचक कहानी : किसका नसीब एक रोचक कहानी है यह सीख देने वाली रोचक हिंदी कहानी है जिसे पढ़कर यकीनन आपको सीख मिलेगी, तो शुरू करते हैं मजेदार कहानी वो भी हिंदी भाषा में।

किसका नसीब – प्रेरणादायक हिंदी कहानी

एक शहर में एक रेस्टोरेंट स्थित था जिसमें दोपहर और शाम के वक्त काफी भीड़ हुआ करती थी। रोजाना दोपहर के समय आस-पास के ऑफिस में काम करने वाले लोग वहां खाना खाने आया करते थे। कुछ समय बीता ही था कि पास में ही काम करने वाले एक आदमी ने गौर किया की एक आदमी रोज रेस्टोरेंट में खाना खाता है लेकिन पैसे नहीं देता है और चुप चाप वहां से निकल जाता है।

पहले तो उस व्यक्ति ने इस बात को नजरअंदाज किया पर जब एक दिन उस से रहा न गया तो उसने रेस्टोरेंट के मालिक को इस बारे में बताना चाहा और वह रेस्टोरेंट के मालिक के पास गया और बोला की मुझे आपको कुछ बताना है।

वह जो कोने की टेबल पर आदमी बैठा है वह रोज यहाँ खाना खाने आता है और बिना पैसे दिए चला जाता है, देखना आज भी वह ऐसा ही करेगा।

रेस्टोरेंट का मालिक लोगों के पैसे काटने में व्यस्त था तो कुछ जवाब न दे सका। कुछ देर में ऐसा ही हुआ खाना खाकर बिना पैसे दिए ही रोज बिना पैसे दिए खाना खाने वाला वह आदमी बाहर चला गया। इस पर रेस्टोरेंट के मालिक को वह व्यक्ति बोला की देखा आपने आज भी इसने ऐसा ही किया और मेरे बताने के बाद भी आपने उसे नहीं रोका।

इस पर रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा कि माफ़ कीजियेगा मैं उस समय थोड़ा व्यस्त था और क्योंकि मैं उस आदमी को जनता हूँ। मुझे यह पता है कि वह रोज भीड़ होने पर ही खाना खाने आता है और बिना पैसे दिए चला जाता है।

यह सुन वह व्यक्ति थोड़ा अचरज में पड़ गया, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा की अगर आप यह बात जानते हैं की वह फ्री में रोज खाना खाता है तो आप उसे रोकते क्यों नहीं हो।

इस पर रेस्टोरेंट मालिक ने जवाब दिया कि आप पहले व्यक्ति नहीं हैं जिसने मुझे इस आदमी के बारे में बताया है आपसे पहले भी कई लोग मुझे इस आदमी के बारे में बता चुके हैं। शायद आपने गौर नहीं किया की वह पास के नुक्कड़ पर बैठने वाला भिकारी है वह केवल तभी यहाँ आता है जब यहाँ भीड़ हो अगर कभी यहाँ भीड़ कम होती है तो वह यहाँ नहीं आता है।

और जब भीड़ होने पर वह आता भी है और खाना खाकर बिना पैसे दिए चले जाता है तो मैं सोचता हूँ कि यह भीड़ शायद इसी के नसीब से यहाँ आती है। शायद यह ही भगवान से रोज मेरे रेस्टोरेंट में भीड़ होने की दुआ मांगता है ताकि अपना पेट भर सके।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जरुरी नहीं की हमारे पास पद, प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और धन केवल हमारे कर्मों या नसीब की वजह से ही हो। हो सकता है कि किसी और का नसीब या दुआ हमारे काम आ रही हो इसलिए किसी को छोटा बड़ा न समझें सबका सम्मान करें और अपनी दयालुता कभी न छोड़ें।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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