वैकुण्ठ और पाताल – मजेदार कहानी

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वैकुण्ठ और पाताल - मजेदार कहानी

मजेदार कहानी (story motivational hindi) – आज हम आपको “वैकुण्ठ और पाताल” नामक मजेदार और मोटिवेशनल कहानी (motivational story in hindi) बताने जा रहे हैं जो एक प्रेरक कहानी / प्रेरणादायक हिंदी कहानी है।

वैकुण्ठ और पाताल

एक अच्छे बुजुर्ग आदमी का निधन हो गया और उनकी आत्मा को लेने यमराज आये तो उस बुजुर्ग आदमी ने यमराज से पूछा कि वह उसे कहाँ लेकर जायेंगे वैकुण्ठ (स्वर्ग) या पाताल (नरक) ?

यह सुन यमराज ने कहा कि आप एक बहुत ही अच्छे इंसान हैं आप चिंता न करें हम आपको लेकर न वैकुण्ठ जा रहे हैं न पाताल। हम आपको लेकर देव लोक जा रहे हैं जहाँ आप भगवान के चरणों में रहेंगे क्योंकि आप अच्छे इंसान होने के साथ-साथ भगवान के भी अनन्य भक्त हैं।

यह सुन वह बुजुर्ग काफी खुश हुए और यमराज से साथ चलने लगे। बुजुर्ग ने यमराज से आग्रह किया कि वह न तो पाताल (नरक) में जा रहा है और न ही वैकुण्ठ (स्वर्ग) में लेकिन वह चाहता है कि वह इन दोनों जगहों को देख सके ताकि इनका अंतर समझ सके।

यमराज ने बुजुर्ग की बात मान ली और सबसे पहले यमराज बुजुर्ग को लेकर पाताल में पहुँचे। वहां बुजुर्ग ने देखा कि सभी लोग बहुत ही दुबले पतले और बेबस से नजर आ रहे हैं ऐसा लग रहा है मानों उन्होंने कई सालों से कुछ न खाया हो।

बुजुर्ग ने यमराज से पूछा कि ऐसी क्या वजह है कि यह लोग इतने दुबले पतले और बेबस से नजर आ रहे हैं क्या यह इनकी कोई सजा है। तब यमराज ने बताया कि यह भूखे रहने की वजह से ऐसे हैं इन्होंने नरक में आने के बाद भोजन नहीं किया है अब यह तुम इनकी सजा समझो या इनकी नियति।

फिर यमराज बुजुर्ग को स्वर्ग (वैकुण्ठ) लेकर गए जहाँ बुजुर्ग ने देखा की सभी लोग खुश हैं और नाच गा रहे हैं वह नरकवासियों की तरह कमजोर या भूखे नहीं लग रहे हैं तब बुजुर्ग ने यमराज से पूछा कि ऐसे कैसे है कि स्वर्ग वाले कमजोर नहीं हैं लेकिन नरक वाले कमजोर थे क्या भोजन पर सबका हक़ नहीं होना चाहिए?

यमराज ने कहा कि आपकी बात सही है भगवान अपने बच्चों के बीच किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं, भोजन पर तो सबका हक़ है लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए ही सबको प्रयास करने पड़ते हैं किसी को भी कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता है।

यमराज ने काफी ऊंचाई पर स्थित एक गुफा की तरफ इशारा किया और बताया कि उस गुफा में कभी न खत्म होने वाला तरह-तरह के व्यंजनों का भंडार है ऐसी ही एक गुफा नरक में भी है। इस गुफा तक पहुँचने के लिए सभी लोगों को साथ आकर एक दूसरे की सहायता करके इस गुफा तक पहुंचना होता है। बिना लोगों के साथ के इस गुफा तक पहुँच पाना असम्भव है।

स्वर्ग में रहने वाले अच्छे लोग हैं और वह अथक प्रयास और एक दूसरे की सहायता करते हैं ताकि इस गुफा तक पहुंचा जा सके और फिर वह भोजन आपस में बाँट लेते हैं और हंसी ख़ुशी जीवन व्यतीत करते हैं जबकि नरक के लोग आलसी और ईर्ष्यालु हैं, वह किसी की भी सहायता नहीं करते हैं और एक दूसरे से चिढ़ते रहते हैं अगर कोई इस गुफा तक जाने की कोशिश भी करता है तो उसकी टाँग खींचकर निचे गिरा देते हैं और कहते हैं कि कोई उनके होते हुए गुफा तक कैसे पहुँच सकता है।

और ऐसा करते-करते नरक का कोई भी व्यक्ति खाने तक नहीं पहुंच पाता है क्योंकि वहां के सभी लोग बिना कर्म करे ही फल चाहते हैं, साथ ही वह एक दूसरे से ईर्ष्या करने वाले और केवल अपना भला चाहने वाले मतलबी लोग हैं इसलिए वह भूखे, कमजोर और लाचार हैं और यही उनके कर्मों का फल है।

और ऐसा ही असल जिंदगी में होता है जो कर्म करते हैं और लोगों का हित चाहते हुए एक दूसरे की सहायता करते हुए आगे बढ़ते हैं वह खुश और सुखी रहते हैं और जो लोग केवल अपना ही अपना भला सोचते हैं वह न खुद के लिए कुछ कर पाते हैं और न किसी और के लिए कुछ करना चाहते हैं वह जीतेजी ही नरक भोगते हैं और अच्छी सोच और अच्छा कर्म करने वाले सदैव खुश रहते हैं और जीतेजी स्वर्ग भोगते हैं।

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