बुलबुल – सोनी और भविष्य की तैयारी

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बुलबुल - सोनी और भविष्य की तैयारी

बुलबुल सोनी और भविष्य की तैयारी की कहानी हिंदी में :- सुन्दर पहाड़ों के बीच एक बहुत बड़ा जंगल था, जंगल में अनेक प्रकार के पौधे एवं जीव-जंतु रहा करते थे। जंगल में एक बुलबुल नाम की चिड़िया भी रहती थी, वह बहुत आलसी और घुमन्तु प्रवृत्ति की थी, वह हमेशा जंगल में घूमती रहती थी। बुलबुल की एक बहुत अच्छी दोस्त चींटी थी जिसका नाम सोनी था।

सोनी बहुत मेहनती थी, वह अपने अन्य चींटी साथियों के साथ मिलकर हमेशा कार्य करती थी और सोनी हमेशा भविष्य के लिए सोचती थी। सोनी अपनी दोस्त बुलबुल को भी हमेशा भविष्य के लिए कार्य करने को कहा करती थी परन्तु बुलबुल कभी भी सोनी की बातों पर ध्यान नहीं देती थी।

एक बार की बात है बुलबुल जंगल में घूम रही थी, बुलबुल ने देखा आज सभी लोग अपने-अपने कार्य में बहुत व्यस्त हैं। बुलबुल के सभी दोस्त आज अपने घोंसले बनाने एवं अपने लिए अच्छा खाना सुरक्षित करने में लगे थे, बुलबुल के साथ कोई भी दोस्त खेलने के लिए नहीं था।

बुलबुल अपनी सबसे अच्छी दोस्त सोनी के पास गई और बोली – “सोनी आज सबको क्या हो गया है? सब क्यों आज इतना ज्यादा काम कर रहे हैं? मेरे साथ तो कोई खेल ही नहीं रहा है, क्या कोई विशेष अवसर आने वाला है जो सब काम में लगे हैं?”

सोना बोली – “बुलबुल अब कुछ समय के लिए ही यहाँ अच्छी घास एवं फल हैं, कुछ समय बाद ही सर्दी का मौसम आने वाला है इसलिए आज से ही पूरे जंगल के जानवर अपने लिए घर और खाने की सामग्री एकत्रित कर रहे हैं। बुलबुल तुम भी अब घूमना छोड़ कर अपने लिए घोंसला बनाओ जिसमें तुम अपने लिए खाने की सामग्री रख सको व ठंड से बच सको।”

बुलबुल बोली – “अरे सोनी बहन अभी तो सर्दियों में बहुत समय है, तुम और सारे जानवर अभी से ही क्यों काम कर रहे हो? यह समय तो घूमने और मीठे-मीठे फल खाने का है अगर अभी काम करोगे तो घूमना कब करोगे ? क्या सर्दी में तुम सब घूम सकोगे? क्या ये मीठे-मीठे फलों को खा पाओगे? तब तक तो सब खत्म हो जाएगा, सोनी छोड़ो ना काम चलो खेलते हैं।”

सोना बोली – “नहीं बुलबुल अगर अभी मैं खेलने में रही तो मैं सर्दियों में परेशान हो जाऊँगी, बुलबुल तुमको नहीं करना अपने भविष्य के लिए काम तो कोई बात नहीं परन्तु मैं जा रही हूँ मुझे अपने साथियों की मदद करनी है।”

बुलबुल ने कहा – “ठीक है तुम्हारी मर्जी, मैं तो चली मीठे फल खाने।” बुलबुल दिन भर जंगल में घूमती रहती अच्छे अच्छे फल खाती, एक दिन बुलबुल ने देखा सोनी और उसके साथी बहुत सारे फल लेकर जा रहे हैं और उन सारे फलों को एक गड्ढे में डाल रहे हैं।

बुलबुल ने पूछा – “सोनी ये तुम लोग क्या कर रहे हो ? क्या ये फल खराब हो गए हैं जो तुमने गड्डे में डाल रहे हो?” तो सोनी बोली – “नहीं, हम तो फल सर्दियों के लिए एकत्रित कर रहे हैं कुछ वक्त की बात है फिर ये फल हमें कहाँ मिलेंगे।”

सोनी ने फिर बुलबुल से कहा – “तुम भी अपने लिए घोंसला बना लो वरना तुम सर्दियों में बहुत परेशान हो जाओगी” परन्तु बुलबुल बोली – “अरे तुम चींटी बहुत छोटी हो इसलिए तुम लोगों को अभी से सब करना पड़ रहा है पर मैं तुमसे बड़ी हूँ, मैं तो आखिरी दिनों में भी अपने लिए खाना इकट्ठा कर लूंगी। अभी तो घूमने का समय है, मीठे फल खाने का समय है मुझे अभी कुछ काम नहीं करना” और यह कहकर बुलबुल उड़ गई।

बहुत समय बाद बुलबुल फिर सोनी से मिली उस दिन सोनी और उसके साथी लकड़ी और पत्तियाँ ले जा रहे थे। बुलबुल ने पूछा – “सोनी तुम लोग लकड़ी और पत्ते क्यों एकत्र कर रहे हो ?”

तब सोनी ने बताया – “सर्दियाँ आने वाली हैं तब हम सबको ठंड लगेगी इसलिए हम सब यहाँ लकड़ी व पत्ते इकट्ठा कर रहे हैं।”

सोनी जानती थी बुलबुल उसकी बात नहीं मानेगी परंतु फिर भी सोनी ने कहा – “बुलबुल तुम भी कुछ पत्ते इकट्ठा कर लो और अपना घोंसला बना लो, वरना तुम बहुत परेशान हो जाओगी।”

बुलबुल ने कहा – “नहीं, मैं आखिरी दिनों में सब इकट्ठा कर लुंगी” फिर सोनी अपने रास्ते चले गयी परंतु जब सोनी जा रही थी तो सोनी गिर गयी और सोनी के पैर पर चोट लग गयी और वह रोने लगी।

बुलबुल ने सोनी को रोता देखा तो बुलबुल ने कहा – “सोनी तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देती हूँ”  और सोनी बुलबुल की पीठ पर बैठ गयी, उस दिन सोनी ने पहली बार इतनी ऊँचाई से जंगल को देखा था, सोनी बहुत खुश थी और बुलबुल ने सोनी को सुरक्षित सोनी के घर तक पहुँचा देती है।

बुलबुल फिर उड़ जाती है और कुछ समय बाद अब सर्दियों का समय हो गया, चारों तरफ बर्फ की चादर ढक गयी थी, आसपास कुछ भी मीठे फल नहीं थे। अब बुलबुल बहुत रो रही थी परन्तु बहुत देर हो चुकी थी बुलबुल जहाँ देखती, बुलबुल को सिर्फ बर्फ की सफेद चादर ही नजर आती वहाँ एक भी फल नहीं था और बुलबुल ने अपने लिए को घोंसला भी नहीं बनाया था और सबको पता था, बुलबुल गर्मियों में घूम रही थी इसलिए किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।

बुलबुल बहुत रो रही थी और बुलबुल बहुत भूखी थी फिर बुलबुल को याद आया, चींटियों ने बहुत सारा खाना इकट्ठा किया है शायद मेरी दोस्त मेरी मदद कर देगी फिर बुलबुल जैसे तैसे चींटियों के घर के पास गयी।

दरवाजे से बुलबुल ने आवाज लगाई – “सोनी मुझे तुम्हारी मदद चाहिए”

फिर सोनी व सोनी के साथी बाहर आए, बुलबुल ने सोनी से कहा – “मुझे तुम्हारी मदद चाहिए वरना मैं भूखी मर जाऊंगी और वह रोने लगी” तो सोनी की एक दोस्त बोली – “तुम तो हमारा मजाक बना रही थी कि तुम लोग छोटे हो इसलिए तुम्हें बहुत समय लगता है खाना इकट्ठा करने में और मैं तो आखिरी दिनों में सारा सामान इकट्ठा कर लुंगी अब क्या हुआ अब क्यों हमारे पास आयी हो?”

बुलबुल कुछ बोलती इससे पहले बुलबुल बेहोश हो गयी तब सोना बोली – “हम बुलबुल को मरता नहीं छोड़ सकते क्योंकि बुलबुल मेरी दोस्त है उसने सदैव मेरी मदद की है और जब मेरे पैर में चोट लग गयी थी तब भी बुलबुल ने मदद की थी।”

यह सब देख चींटियों की रानी बाहर आती है और कहती हैं – “बुलबुल ने हमारे साथी की सहायता की थी इसलिए हमारा भी फर्ज बनता है कि हम भी बुलबुल की सहायता करें, आओ सब लोग मिलकर बहुत सारे पत्ते ले आओ” फिर चींटियों ने गर्माहट के लिए पत्तों से बुलबुल को ढक देती हैं और उसके लिए छोटा सा एक लकड़ियों से घोंसला बना देती हैं।

फिर बुलबुल को उस घोंसले में ले जाती हैं और बुलबुल को खाना खिलाती हैं कुछ देर बाद ही बुलबुल को होश आ जाता है और बुलबुल को अपनी गलतियों का एहसास होता है और बुलबुल सबका मजाक उड़ने के लिए सभी से माफ़ी माँगती है।

बुलबुल कहती है – “अब मैं ऐसा नहीं करूँगी और भविष्य के लिए हमेशा तैयारी करूँगी।”

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा भविष्य के लिए योजना बनानी चाहिए, हमें नहीं पता कब कैसे हालात हों जाएं इसलिए हमें हमेशा पहले से तैयारी करके रखनी चाहिए।

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