मोथा के औषधीय गुण या फायदे – Benefits of Nut grass

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मोथा के औषधीय गुण या फायदे - Benefits of Nut grass

मोथा के औषधीय गुण या फायदे ( Motha ke aushadhiya gun ya fayde ) : मोथा के औषधीय गुण या फायदे बहुत से होते हैं, मोथा एक प्रकार की गुणकारी एवं लाभकारी घास हैं, जिसका आयुर्वेद में महत्त्वपूर्ण है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में प्राचीन समय से ही मोथा का उपयोग औषधि के रूप में किया जा रहा हैं। मोथा को मुस्तक के नाम से भी जाना जाता है। मोथा का पौधा संपूर्ण भारत में नमी तथा जलीय भागों में पाया जाता है।

मोथा की खेती नहीं की जाती हैं क्योंकि मोथा खरपतवार की तरह स्वयं पैदा हो जाती है और फिर इसे समाप्त करना कठिन होता है इसलिए किसानों के लिए मोथा सिर दर्द बनी रहती हैं क्योंकि मोथा घास खेती के लिए अभिशाप मानी जाती है।

दरअसल मोथा घास इतनी तेजी से फैलती है कि खेतों में लगी फसल को पूरी तरह नष्ट कर देती हैं इसलिए अधिकांश लोग मोथा को बेकार ही मानते हैं। मोथा की कई अन्य प्रजातियां भी पायी जाती हैं जैसे नागरमोथा एवं धान्यमुस्तक आदि। नागरमोथा का भी आयुर्वेद में एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं, खेतों की फसल को नष्ट करने वाली मोथा घास एक औषधि भी हैं, जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में सहायक होती हैं। दरअसल मोथा में पाए जाने वाले औषधीय गुण, शरीर को कई शारीरिक बीमारियों से बचाते हैं और बीमारी की अवस्था में बीमारी के लक्षणों को कम कर, शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। आइए विस्तार में जाने हमारे इस आर्टिकल से मोथा के औषधीय गुणों के बारे में ।

मोथा के अन्य भाषाओं में नाम

मोथा को हिंदी में मोथा, संस्कृत में मुस्ता, मुस्तक व वारिद, गुजराती में मोथा, तमिल में कोग्इकिलंगु, बंगाली में मोथा व मुथा, मराठी में मोथा व बिम्बल और नेपाली में कसुर कहा जाता हैं।

मोथा में पाए जाने वाले औषधीय गुण

मोथा में एनाल्जेसिक (दर्द को कम करने वाले), एंटी इंफ्लामेटरी (सूजन को कम करने वाले), एंटीडिसेंट्रिक (पेचिश से राहत दिलाने वाले) एंटीरूमेटिक (जोड़ों के दर्द व सूजन से राहत दिलाने वाले), कृमिनाशक (पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाले), एमेनोगॉग (मासिक धर्म में सुधार करने वाले) और कार्मिनेटिव (पेट फूलने की समस्या को कम करने वाले) जैसे कई औषधीय गुण पाए जाते हैं।

मोथा के सेवन का तरीका

  • मोथा काढ़े का सेवन 10-30 मिली।
  • मोथा चूर्ण का सेवन 1-3 ग्राम।

मोथा के फायदे ( Benefits of Nut grass in hindi )

  1. शारीरिक सूजन एवं दर्द को कम करने के लिए मोथा का काढ़ा पीना फायदेमंद है क्योंकि मोथा में सूजन को कम करने वाले और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं, जो शारीरिक दर्द व सूजन को कम करने सहायक होते हैं। इसके अलावा मोथा की कन्द को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दौरान होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम मिलता हैं।
  2. बाहरी घाव एवं चोट को ठीक करने के लिए घरेलू उपचार के रूप में मोथा का प्रयोग किया जा सकता हैं। इसके लिए आपको मोथा को पीसकर, लेप बना लेना हैं और इस लेप को बाहरी चोट एवं उसके कारण हुए घाव पर लगाना हैं, इसे लगाने से घाव जल्द ही ठीक हो जाता हैं। इसके अलावा कटे-फटे, कुष्ठ तथा खुजली रोग में मोथा की जड़ को पीसकर लगाने से लाभ होता हैं। 
  3. पाचन से जुड़े सभी रोगों को दूर करने के लिए मोथा एक अच्छी दवा के रूप में कार्य करती हैं। दरअसल मोथा में पाए जाने वाले औषधीय गुण, पाचन में सुधार कर, भोजन को अच्छे से पचाने का कार्य करते हैं और पाचन तंत्र को स्वस्थ व मजबूत बनाये रखने में सहायक होते हैं। इसके अलावा मोथा पेचिश, खूनी पेचिश और कब्ज जैसी अन्य पेट समस्याएं को भी ठीक करने में सहायक होता है।
  4. बुखार के दौरान बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए मोथा और पित्तपापड़ा का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। मोथा, पित्तपापड़ा, चन्दन, सुगन्धवाला, खस और सोंठ से बने काढ़े को 10-20 मिली की मात्रा में पीने से बुखार ठीक होता है। अगर आप काढ़ा न बनाना चाहें तो आप ये सभी पदार्थों को बारीक कूट के पानी में डालकर रातभर भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर सेवन कर लें।
  5.  प्रसूता स्त्री यानी जिस महिला ने हाल में ही बच्चे को जन्म दिया हो, उस महिला के लिए भी मोथा का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल एक शोध के अनुसार, मोथा में मौजूद औषधीय गुण, स्तन्य विकारों को दूर करने में सहायक होते है। इसके अलावा आयुर्वेद चिकित्सा में मोथा का इस्तेमाल स्तन्य वृद्धि के लिए भी किया जाता है।
  6. अगर आप पेट के कृमियों से परेशान है तो आप मोथा का सेवन करें। दरअसल आयुर्वेद के अनुसार मोथा में कृमिनाशक यानी पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो पेट के कृमियों को नष्ट कर, बहार निकालने में सहायक होते हैं। इसके अलावा मोथा चूर्ण में शहद को मिलाकर सेवन करने से, बढ़े हुए कफ के कारण होने वाली उल्टी भी बंद हो जाती हैं। 
  7. मोथा का प्रयोग महिलाओं की मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं जैसे कष्टार्तव यानी माहवारी के दौरान गर्भाशय में असहनीय पीड़ा होने पर भी किया जाता है। दरअसल मोथा में एमेनोगॉग (मासिक धर्म में सुधार करने वाले गुण) पाए जाते हैं, जो मासिक धर्म की अनियमितताओं को ठीक करने में मदद करते है और मासिक धर्म के दौरान होने वाली सभी समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं।
  8. मोथा के औषधीय गुण, आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। मोथा को पीसकर, इसके रस की एक से दो बूंदों को आंखों में डालने से आंखों की रोशनी तो बढ़ती ही हैं साथ ही बढ़ती उम्र में होने वाली अन्य आंखों की समस्याओं से भी बचाव करती हैं।

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