मुखिया की सीख और लकड़ी का ढेर

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मुखिया की सीख और लकड़ी का ढेर

प्रेरणादायक कहानी (story motivational hindi) – आज हम आपको “मुखिया की सीख और लकड़ी का ढेर” मोटिवेशनल कहानी (motivational story in hindi) बताने जा रहे हैं जो एक प्रेरक कहानी / प्रेरणादायक हिंदी कहानी है।

मुखिया की सीख और लकड़ी का ढेर

एक समय की बात है दूर कहीं जंगल में एक कबीला था जिसमें 100 से ज्यादा लोग रहा करते थे। इस कबीले का मुखिया काफी चतुर और वृद्ध था जिसकी समझदारी के सभी कायल थे। कबीले के सभी लोग मुखिया से खुश रहते थे लेकिन आपस में हर किसी से जलते और एक दूसरे के प्रति द्वेष रखते थे।

यह बात मुखिया को पता थी और वह इसी बात से चिंतित रहता था। कबीले के लोग शिकार करने में भी एक दूसरे की सहायता नहीं करते थे उन सबने अपने-अपने छोटे-छोटे गुट बना लिए थे जिसके सहारे वह शिकार करते और आपस में बाँट लेते।

कभी-कभी तो एक ही शिकार को लेकर कबीले के गुट आपस में ही एक दूसरे से भीड़ जाते थे और कई बार यह भिड़ंत हिंसक भी हो जाती थी। यह सब देख कर कबीले का मुखिया और अन्य वृद्धजन काफी दुखी हो जाते थे।

वह मुखिया से कहते की इस समस्या का कोई न कोई हल निकालो नहीं तो यह आपसे में ही लड़ मरेंगे या फिर किसी बाहरी आक्रमणकारी द्वारा मार दिए जायेंगे। अगर यह एक होकर एकता से नहीं रहे तो निश्चित ही कोई न कोई इस कमजोरी का फायदा उठाकर हमें मार देगा और हमारे संसाधनों पर कब्जा कर लेगा।

मुखिया को बात सत्य लगी उसने बहुत सोच विचार के बाद सभी कबीले वालों की बैठक बुलाई और सबको एक ही नाप का एक जैसा दिखने वाला लकड़ी का एक टुकड़ा दिया और कहा की सबको अपना-अपना नाम इस लकड़ी पर लिखना है।

सबने वैसा ही किया और सबने ने अपना नाम लकड़ी पर लिख दिया, फिर मुखिया ने अपने सेवकों से कहा कि इन सब लकड़ी के टुकड़ों को एकत्रित करके दूसरे कमरे में रख दिया जाये। मुखिया के सेवकों ने सभी टुकड़ों को इकठ्ठा करके दूसरे कमरे में रख दिया।

अब मुखिया ने एक-एक करके सबको उस कमरे में जाने को कहा और अपने नाम का लकड़ी का टुकड़ा ढूढ़ कर लाने को कहा। और कहा की सबको ऐसा करने के लिए सिर्फ पांच मिनट मिलेंगे और जो अपने नाम का लकड़ी का टुकड़ा पांच मिनट में ले आएगा उसे पुरस्कृत किया जायेगा।

सब एक-एक करके गये पर सभी असफल होकर लोटे, कोई भी लकड़ियों के ढेर में से अपने नाम का लकड़ी का टुकड़ा नहीं ढूढ़ पाया। अब मुखिया ने कहा कि एक-एक करके आप सब लोग फिर से उस कमरे में जाएँ और अब जिसके भी नाम का लकड़ी का टुकड़ा आपको पहले मिले उसे बहार लाकर उस व्यक्ति का नाम बोलें और वह व्यक्ति वह लकड़ी का टुकड़ा ले ले।

ऐसा ही हुआ और कुछ ही मिनटों में वह कमरा खाली हो गया और सबको अपने-अपने नाम का लकड़ी का टुकड़ा मिल गया।

तब मुखिया ने उस कबीले के लोगों को समझाया की अगर हम सभी एक दूसरे से जलने और सिर्फ अपना ही भला और हित चाहने के बजाये एक दूसरे की सहायता करें और एक दूसरे को खुशियां देने का प्रयास करें तो निश्चित ही हमें भी ढेर सारी खुशियां मिलेंगी।

इसलिए एक होकर रहें, सबके साथ प्रेम का व्यवहार रखें और एक दूसरे की सहायता करने तभी हम सब सुखी, समृद्ध और संपन्न रह सकते हैं। एक दूसरे से जलन, द्वेष और क्रोध रखकर हम सिर्फ दूसरे का ही नहीं अपितु अपना भी नुकसान करते हैं। क्रोध और जलन हमारे सोचने समझने की शक्ति तो क्षीण करता ही है एवं हमारे व्यवहार को भी बेकार बना देता है।

जिस कारण हमें को पसंद नहीं करता है इसलिए हर बात में केवल अपना मतलब न खोजो या सिर्फ अपना भला ही न सोचो अपितु पूरे समाज का भला सोचो।

पढ़ें – अंतिम पांच मिनट – प्रेरणादायक कहानी

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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