त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान – Triphala Powder

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त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान

त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान ( Triphala churna ke fayde aur nuksan ) : त्रिफला की ही तरह त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान भी बहुत से होते हैं। त्रिफला (Triphala) या त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसके उपयोग से पेट संबंधी विकारों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। त्रिफला की तासीर गर्म होती है जिसके कारण सर्दियों के दिनों में इसका सेवन करना अधिक फायदेमंद माना जाता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान (Advantages and disadvantages of Triphala Powder in hindi)

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में त्रिफला का इस्तेमाल एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। त्रिफला के उपयोग से कई प्रकार के स्वास्थ्य फायदे होते हैं। त्रिफला को आंवला, बहेड़ा एवं हरड़ के मिश्रण से तैयार किया जाता है। त्रिफला के इस्तेमाल से कई प्रकार के रोगों से बचाव करने में बहुत मदद मिलती है।

त्रिफला चूर्ण बनाने का तरीका-

त्रिफला चूर्ण को हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका एवं आंवले के गूदे के मिश्रण को बारीक पीसकर तैयार किया जा सकता है।

त्रिफला में पाए जाने वाले गुण-

त्रिफला चूर्ण में विटामिन C, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-पायरेटिक, इम्युनिटी मॉड्यूलटोरी, गैलिक एसिड, एलेजिक एसिड, हाइपोग्लाइसेमिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट आदि जैसे गुण पाए जाते हैं।

जानें त्रिफला के फायदे और नुकसान

त्रिफला चूर्ण के उपयोग का तरीका-

त्रिफला चूर्ण को नींबू के साथ, त्रिफला चूर्ण से निर्मित चाय, फेस मास्क के लिए, आँखों के लिए (आंख धोने के लिए) एवं त्रिफला टेबलेट या कैप्सूल का इस्तेमाल किया जा सकता है। Benefits of Triphala powder in hindi.

त्रिफला चूर्ण के फायदे (Benefits of Triphala Churna in hindi)

  • त्रिफला चूर्ण का नियमित रूप से सेवन करने से पेट संबंधी विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, त्रिफला चूर्ण में पाए जाने वाले प्राकृतिक गुणों के प्रभाव से कब्ज, गैस, एसिडिटी एवं पेट में ऐंठन की समस्या से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण का नियमित रूप से इस्तेमाल करने से पेट में दर्द की समस्या से भी बचाव करने में मदद मिलती है।
  • त्रिफला चूर्ण का उपयोग करने से मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। रोजाना नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट में कमी आती है जिससे मोटापे की समस्या से दूर रहने में मदद मिलती है। त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से शरीर का वजन नियंत्रित रहता है जिससे मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों को बहुत फायदा मिलता है।
  • त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से हृदय संबंधी बीमारियों के खतरों से बचाव करने में बहुत मदद मिलती है। एक शोध के अनुसार, त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है जिससे हृदय संबंधी रोगों के खतरों से दूर रहने में बहुत मदद मिलती है।

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  • त्रिफला चूर्ण के उपयोग से बैक्टीरियल एवं वायरल संक्रमण के खतरों से दूर रहा जा सकता है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल एवं एंटी-पायरेटिक (Antipyretic – बुखार कम करने वाला) गुण पाए जाते हैं जिससे शरीर को हानिकारक बैक्टीरिया के प्रभाव से बचाया जा सकता है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
  • त्रिफला चूर्ण का नियमित रूप से सेवन करने से मधुमेह जैसी बीमारी के लक्षणों को घटाया जा सकता है। त्रिफला चूर्ण के प्रभाव से रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। जिससे रक्त शर्करा का स्तर संतुलित रहता है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव भी पाए जाते हैं जिससे टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में आसानी होती है।
  • त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से रक्त परिसंचरण की प्रक्रिया बेहतर होती है। ब्लड सर्कुलेशन के बेहतर होने से शरीर के सभी जरुरी अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त एवं ऑक्सीजन पहुंचता है। जिससे शरीर में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकल जाता है। त्रिफला चूर्ण का नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे शरीर को बहुत फायदा मिलता है।
  • त्रिफला चूर्ण के उपयोग से गठिया जैसी बीमारी के लक्षणों को घटाने में आसानी होती है। बढ़ती उम्र के कारण अक्सर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिससे कई लोगों को जोड़ों में दर्द की शिकायत होने लगती है। त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से हड्डियों को मजबूती मिलती है जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाया जाता है जिससे गठिया के दौरान जोड़ों में सूजन को कम करने में बहुत मदद मिलती है।

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  • त्रिफला चूर्ण में इम्युनिटी मॉड्यूलटोरी गुण पाए जाते हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। त्रिफला में गैलिक एसिड (Gallic acid) एवं एलेजिक एसिड (Ellagic acid) जैसे यौगिक पाए जाते हैं जो शरीर में एक एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं और जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आता है।
  • त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से दांतों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। त्रिफला चूर्ण में एंटी-इंफ्लेमेटरी एवं एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जिससे दांतों में कीड़े, मसूड़ों में सूजन, मसूड़े से खून आना एवं मुँह से दुर्गंध आने की समस्या से छुटकारा मिलता है। शहद के साथ लगभग आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को मिलाकर उसका सेवन करने से सांस से दुर्गंध आने की समस्या से राहत मिलती है।
  • त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से आंख संबंधी बीमारियों के खतरों से बचाव करने में बहुत मदद मिलती है। त्रिफला आंखों के स्वास्थ्य के लिए टॉनिक का कार्य कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार त्रिफला चूर्ण के उपयोग से मोतियाबिंद के खतरों को कम करने में मदद मिलती है।
  • त्रिफला चूर्ण का उपयोग करने से त्वचा संबंधी विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है। त्रिफला चूर्ण में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जिससे त्वचा संबंधी समस्याओं से बचाव करने में बहुत मदद मिलती है। त्रिफला चूर्ण में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट गुण के प्रभाव से त्वचा की झुर्रियों, डार्क-सर्कल्स एवं कील-मुहांसों की समस्या से राहत मिलती है।

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त्रिफला चूर्ण के नुकसान (Losses of Triphala Churna in hindi)

  • 5 वर्ष से छोटे बच्चों को त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे बच्चों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • काफी लंबे समय तक त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से व्यक्तियों की नींद की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
  • त्रिफला चूर्ण कोलेन की मांसपेशियों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • त्रिफला चूर्ण का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से रक्त में शुगर की मात्रा में वृद्धि हो सकती है जिससे मधुमेह जैसी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
  • त्रिफला चूर्ण का अधिक मात्रा में सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर अनियंत्रित हो सकता है जिससे हृदय के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • त्रिफला चूर्ण का अत्यधिक सेवन करने से कुछ लोगों को बार-बार पेशाब आने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसीलिए रात के समय त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
  • एलर्जी की समस्या वाले व्यक्तियों को त्रिफला चूर्ण का अधिक मात्रा में उपयोग करने से बचना चाहिए।

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