मूर्ख को सीख देना अपनी शामत बुलाना (हिंदी कहानी)

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मूर्ख को सीख देना अपनी शामत बुलाना - हिंदी कहानी

मूर्ख को सीख देना अपनी शामत बुलाना (हिंदी कहानी) – प्रेरणादायक कहानी छोटी सी, प्रेरणादायक कहानी बच्चों के लिए। युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी, प्रेरणादायक कहानी जीवन में काम आये ऐसी ही एक शिक्षादायक कहानी “मूर्ख को सीख देना अपनी शामत बुलाना” हम आपको आज सुनाने जा रहे हैं।

मूर्ख को सीख देना अपनी शामत बुलाना – हिंदी कहानी

एक घने जंगल में एक पेड़ पर एक छोटी सी गौरैया का घोंसला था। वह हंसी-ख़ुशी अपने उस घोंसले में रहा करती थी। एक दिन की बात है कड़ाके की ठंड पड़ रही थी।

ठंड से कप-कपाते हुए तीन बंदर उसी पेड़ के निचे आ गए जिस पर गौरैया रहती थी। तभी उनमें से एक बंदर बोला “कहीं से आग तापने को मिले जाये तो सारी ठंड दूर हो जाये।”

यह बात सुन दूसरे बंदर ने सुझाव दिया कि ”देखो, यहां कितनी सूखी पत्तियां गिरी हुई हैं। चलो इन्हें इकट्ठा कर हम पत्तियों का ढेर लगाते हैं और फिर उसे सुलगाने का उपाय सोचते हैं।”

सभी बंदरों ने मिलकर सूखी पत्तियां का ढेर बनाया और फिर गोल दायरे में बैठकर सोचने लगे कि इस ढेर को कैसे सुलगाया जाए और आग लगाई जाये।

तभी एक बंदर की नजर दूर हवा में उडते हुए एक जुगनू पर पड़ी और वह उछल पडा और उधर ही दौडता हुआ चिल्लाने लगा “देखो, हवा में चिंगारी उड़ रही है – हवा में चिंगारी उड़ रही है। इसे पकड़कर ढेर के नीचे रखकर फूंक मारने से आग सुलग जाएगी।”

”हां हां!” कहते हुए बाकी बंदर भी उधर दौड़ने लगे। पेड़ पर अपने घोंसले में बैठी गौरैया यह सब देख रही थी और मन ही मन हंस रही थी। बंदरों की यह मूर्खता देखते हुए उससे चुप नहीं रहा गया और वह बोली “बंदर भाइयों, यह चिंगारी नहीं जुगनू है। यह भी हमारी तरह ही एक जीव है इससे आग नहीं लगेगी”

एक बंदर क्रोध से गौरैया को देखकर गुर्राया और बोला ”मूर्ख चिडिया, चुपचाप घोंसले में दुबकी रह। हमें सिखाने चली है क्या तू हमसे ज्यादा ज्ञानी है।”

इस बीच एक बंदर ने उछलकर जुगनू को अपनी हथेलियों के बीच पकड़ लिया और उस जुगनू को ढेर के नीचे रख कर, सभी बंदर ढेर के चारों ओर बैठकर जुगनू को चिंगारी समझकर फूंक मारने लगे ताकि इस चिंगारी से आग लग जाये।

गौरैया बंदरों की यह मूर्खता देख फिर न चुप रह सकीय और उसने सलाह दी कि “बन्दर भाइयों! आप लोग गलती कर रहे हैं, यह जुगनू है और इस जुगनू से आग नहीं सुलगेगी। आप ऐसा करें कि दो पत्थरों को आपस में टकराकर उससे चिंगारी पैदा करके आग सुलगाइए।”

बंदरों ने बड़े गुस्से में गौरैया को घूरा और फूंक मारते रहे। आग नहीं सुलगी तो गौरैया फिर बोल उठी “भाइयों! आप मेरी सलाह मानिए, कम से कम दो सूखी लकड़ियों को आपस में रगड़कर देखिए, उसी से आग लग जाएगी”

सारे बंदर आग न सुलगा पाने के कारण खींजे हुए थे और काफी गुस्से में थे। एक बंदर इसी क्रोध से भरकर आगे बढ़ा और उसने गौरैया को पकड़कर जोर से पेड़ पर दे मारा। गौरैया फड़फड़ाती हुई नीचे गिरी और दर्द से करहाने लगी। सभी बंदर वहां से चले गए।

गनीमत रही कि इतनी जोर से पेड़ पर टकराने के बाद भी गौरैया की जान बच गयी लेकिन उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिल गया कि कभी मूर्खों को सलाह नहीं देनी चाहिये।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आप कितने ही ज्ञानी क्यों न हों आप अच्छे और सच्चे मन से बिना किसी स्वार्थ के किसी को ज्ञान क्यों न दें लेकिन एक मुर्ख व्यक्ति आपकी सलाह और ज्ञान को सदैव गलत नजर से ही देखेगा उसे आपकी अच्छी सलाह में भी कुछ न कुछ बुरा ही नजर आएगा इसलिए कभी किसी मुर्ख को सलाह न दें और अगर कभी दें भी तो एक बार से ज्यादा न दें अगर वह थोड़ा भी समझदार होगा तो सही सलाह को एक बार में ही मान लेगा।

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