अनुलोम विलोम के फायदे ( anulom vilom ke fayde ) : अनुलोम विलोम प्राणायाम की प्रारंभिक क्रिया है जो सेहत के लिए कई प्रकार से फायदेमंद होता है। प्राणायाम एक संस्कृत शब्द है जिसका संबंध सांस लेने एवं सांस छोड़ने से है। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की 2 क्रियाएं हैं पहला ‘पूरक’ एवं दूसरा ‘रेचक’।
प्राचीन भारत से ही अनुलोम विलोम प्राणायाम किया जाता है। अनुलोम का अर्थ है सीधा एवं विलोम का अर्थ है उल्टा। अनुलोम विलोम करने से कई प्रकार के रोगों से बचाव करने में मदद मिलती है। दुनियाभर में अनुलोम विलोम प्राणायाम को सबसे लोकप्रिय एवं लाभकारी माना जाता है।
अनुलोम विलोम करने का सही तरीका
सिद्धासन या वज्रासन में बैठ कर अपने दाहिने हाथ की अंगूठे से दाहिनी नाक को बंद करके बाएं नाक से श्वास लें और पांच तक गिनती करें फिर इसी मुद्रा में दाहिनी नाक को छोड़कर हाथ की रिंग फिंगर से बायीं नाक को बंद कर लें फिर पांच तक गिनती करें इसे 1-2 मिनट तक करें। अनुलोम विलोम प्राणायाम करते समय निरंतर सांस लेते रहनी चाहिए।
अनुलोम विलोम के फायदे (Benefits of Anulom Vilom in hindi)
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हृदय का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। रोजाना नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से हृदय की गति सामान्य रहती है जिससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा कम होता है। इसके अलावा अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से श्वास नलियां भी स्वस्थ रहती हैं जिससे सेहतमंद रहा जा सकता है।
- अनुलोम विलोम एक ऐसा प्राणायाम है जिससे एकाग्रता को बढ़ाने में मदद मिलती है। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करने में मदद मिलती है जिससे मस्तिष्क की कार्य प्रणाली में सुधार आता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से पढ़ने वाले छात्रों की कंसंट्रेशन पावर में वृद्धि होती है जिससे विद्यार्थियों को बहुत फायदा मिलता है।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से उच्च रक्तचाप एवं निम्न रक्तचाप की समस्या से छुटकारा मिलता है। अनुलोम विलोम करने से शरीर में रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। रोजाना नियमित रूप अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से शरीर में डायस्टोलिक रक्तचाप (DBP) एवं सिस्टोलिक रक्तचाप (SBP) का स्तर कम होता है जिससे रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे लोगों को बहुत फायदा मिलता है।
- रोजाना नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से पेट का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। दरअसल, अनुलोम विलोम प्राणायाम को नाड़ी-शोधन प्रक्रिया भी कहते है। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से कब्ज, अपच एवं पेट में ऐंठन की समस्या से दूर रहने में मदद मिलती है जिससे पेट के स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद मिलती है।
- अनुलोम विलोम करने से मोटापे की समस्या से छुटकारा मिलता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम एक ब्रीथिंग एक्सरसाइज है जिसकी मदद से शरीर में मौजूद अतिरिक्त चर्बी या फैट को कम करने में मदद मिलती है। अनुलोम विलोम करने से शरीर के बढ़ते वजन को घटाया जा सकता है जिससे शरीर को फिट रखने में आसानी होती है।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से अवसाद एवं चिंता की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, अनुलोम विलोम करने से मस्तिष्क की कार्य प्रणाली बेहतर रहती है जिससे अवसाद एवं चिंता की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, अनुलोम विलोम करने से माइग्रेन जैसी समस्या को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
- अनुलोम विलोम करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे शरीर को डिटॉक्स रखने में मदद मिलती है। गलत खानपान के कारण अक्सर शरीर में विषाक्तता बढ़ जाती है जिससे शरीर में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से शरीर को आसानी से डिटॉक्सीफाई किया जा सकता है।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से गठिया जैसी बीमारी के लक्षण को कम करने में मदद मिलती है। गठिया एक हड्डी से जुड़ा रोग है जिसमें हड्डियों के जोड़ों में अत्यधिक दर्द होता है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, अनुलोम विलोम हड्डी से जुड़े रोगों में भी कारगर है जिससे गठिया की समस्या से जूझ रहे लोगों को बहुत फायदा मिलता है।
- रोजाना नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से मधुमेह जैसी बीमारी के लक्षणों को कम करने में आसानी होती है। एक अध्ययन के अनुसार, अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से रक्त में शुगर की मात्रा को कम किया जा सकता है जिससे मधुमेह जैसी बीमारी का खतरा कम होता है। टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को सूर्य-भेदन प्राणायाम करने से बहुत फायदा मिलता है।
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अनुलोम विलोम बरती जाने वाली सावधानियां
- अनुलोम विलोम को सूर्योदय या सूर्यास्त के समय करना चाहिए। दिन के समय अनुलोम विलोम प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम को हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए। भोजन के बाद अनुलोम विलोम करने से कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
- शुरुआती दिनों में अनुलोम विलोम प्राणायाम एक अच्छे योग गुरु के निरीक्षण में ही करना चाहिए।
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