ऊँट का बदला और सियार ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक ऊँट और एक सियार बहुत पक्के दोस्त थे। एक दिन, वे एक खेत में तरबूज़ खाने गए। भरपेट तरबूज खाने के बाद सियार हुआ-हुआ चिल्लाने लगा।
ऊँट ने सियार से कहा “अरे, चिल्लाओ मत, तुम्हारा चिल्लाना सुनकर किसान आ जाएगा!”
सियार ने जवाब दिया “गाना गाए बगैर मेरा खाना नहीं पचता है।” और सियार जोर-जोर से चिल्लाने लगा।
सियार की आवाज सुनकर जल्द ही किसान वहाँ आ गया। किसान को आते देख, सियार तो भाग लिया लेकिन किसान ने ऊँट की लाठियों से जमकर पिटाई की।
अगले दिन सियार फिर ऊँट के पास आया और ऊंट की हालत देख कर उस पर हंसने लगा। यह देख ऊंट को बहुत बुरा लगा और उसने सियार से कहा कि “तुम्हारी वजह से ही मेरी यह हालत हुई है और तुम मुझ पर हंस रहे हो।” सियार हँसता हुआ वहां से चला गया।
ऊँट ने ठाना कि मौका आने पर इस सियार को सबक सीखना है। एक दिन, ऊँट ने सियार से कहा, “चलो, नदी में तैरने चलते हैं।”
इस पर सियार ने कहा कि “मुझे तो तैरना ही नहीं आता है।”
यह सुन ऊँट ने कहा “मैं तैरुँगा और तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना। ऊँट की बात सुनकर सियार तैयार हो गया।
ऊँट सियार को पीठ पर बैठाए हुए गहरे पानी में पहुँचा, तो डुबकी लगाने लगा। सियार चिल्लाने लगा, “अरे, ये क्या कर रहे हो ? मैं डूब जाऊँगा।”
ऊँट बोला “लेकिन मैं तो पानी में जाकर डुबकी लगाता ही हूँ। मेरी सेहत के लिए यह बहुत अच्छा होता है” और ऊँट सियार को मँझधार में छोड़ कर, गहरे पानी में डुबकी लगाने लगा।
सियार जैसे तैसे पानी से बाहर निकल पाया और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि समय सबका एक जैसा नहीं रहता है कि किसी का समय अच्छा होता है तो कभी किसी का इसलिए कभी किसी को धोखा न दें और कभी किसी की बुरी हालत पर न हँसे।