तीन मित्र और ज्ञान का घमंड – शिक्षाप्रद कहानी

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तीन मित्र और ज्ञान का घमंड - शिक्षाप्रद कहानी

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तीन मित्र और ज्ञान का घमंड – Educational Story in hindi

बहुत पुरानी बात है एक गुरुकुल में कुछ छात्र पढ़ा करते थे। उनमें तीन छात्रों घनिष्ठ मित्र थे वह साथ में ही बैठा करते, खाना साथ में खाते, भिक्षा मांगने भी साथ ही जाया करते थे। उनकी मित्रता काफी घनिष्ठ है यह बात सब जानते थे यहाँ तक की गुरूकुल के शिक्षकों तक को यह बात ज्ञात थी।

इसलिए शिक्षक उन तीनों को भिक्षा मांगने के लिए एक साथ ही भेजा करते थे। उन तीन मित्रों में दो पढ़ने में काफी होशियार थे लेकिन एक पढ़ने में थोड़ा सा कमजोर था किन्तु वह व्यवहार में चतुर था। बाकी दो मित्रों के पढ़ने में काफी कार्यकुशल होने के कारण तीसरे को कई बार बाकि छात्र शर्मिंदा किया करते थे लेकिन वह फिर भी उन्हीं मित्रों के साथ रहता था।

धीरे-धीरे तीनों मित्रों में से पढ़ने में होशियार दोनों मित्रों को अपने ज्ञान पर काफी घमंड होने लग गया था, तीसरा मित्र उन्हें समझाता की अपने ज्ञान पर इतना घमंड न करो यह ठीक बात नहीं है घमंड करने वाले का अंत सदैव बुरा होता है

लेकिन विद्या और ज्ञान के घमंड में चूर दोनों मित्रों ने अपने तीसरे मित्र की बात न मानी और उनका अहंकार दिन पर दिन बढ़ता ही चला गया अब तो वह अन्य सहपाठियों के साथ-साथ कुछ गुरुजनों के भी अपमान करने लगे, इन हरकतों पर उनके तीसरे मित्र ने बहुत समझाया पर वे न माने।

एक बार तीनों मित्र एक गांव में भिक्षा लेने गए तो वापिस आते हुए शाम हो गयी। अब उन्हें वापिस अपने गुरुकुल जाना था लेकिन वह दूर थे तो उनमें से पहला ज्ञानी मित्र बोला की क्यों न जंगल में से चलें हम जल्दी पहुँच जायेंगे और उसी रास्ते से गए जिससे आये थे तो पहुँचते-पहुँचते रात हो जाएगी।

दूसरे ज्ञानी दोस्त ने भी हाँ में हाँ मिला दी तीसरे ने कहा की जंगल में बहुत से जंगली जानवर रहते हैं वहां से जाना ठीक न होगा हम जहाँ से आये हैं वहीं से जाते हैं वही सही रास्ता है। लेकिन उसके बाकि ज्ञानी और विद्या के घमंड में चूर मित्रों ने तीसरे की एक न मानी और जंगल के रास्ते से चल पड़े, मज़बूरी में तीसरे दोस्त को भी उनके साथ चलना पड़ा।

चलते-चलते वह घने जंगल में जा पहुंचे काफी देर चलते हुए हो गयी थी अतः उन्होंने थोड़ा आराम करने की सोची और एक गुफा के समीप बड़े से पत्थर पर बैठ गए। तभी उनमें से एक ज्ञानी मित्र की नजर एक हाड पिंजर पर पड़ी, वह हड्डियां काफी पुरानी और सड़ी गली सी थी। उन्हें देख वह बोला की ओहो लगता है इसे किसी जानवर ने खाया है इसलिए इसके प्राण चले गए।

मैं चाहुँ तो अपनी विद्या से इसके शरीर को पहले जैसा कर सकता हूँ लेकिन फिर भी इसे जिन्दा नहीं कर पाऊंगा यह सुन दूसरा ज्ञानी दोस्त हँसा और बोला की बस इतना ही मैं तो इसमें प्राण भी फुक सकता हूँ। यह सुन तीसरा दोस्त बोला गलती से भी ऐसा न करना मुझे तो इसके दांत देखकर यह कोई शिकारी जानवर जान पड़ता है।

यह सुन बाकि मित्र हंसने लगे और उनमें से एक बोला तुम सदैव मुर्ख ही रहोगे, तुम उसकी चिंता न करो अगर यह कोई जंगली जानवर हुआ भी तो क्या अगर में प्राण डाल सकता हूँ तो निकाल भी सकता हूँ, तुम इसकी चिंता न करो।

यह सुन तीसरा मित्र बोला की अगर तुम दोनों ने यह ठान ही लिया है कि इसे जीवित करोगे तो मुझे यहाँ से जाने दो और तुम इसको जीवित करने का चमत्कार कर पाए की नहीं यह मैं गुरुकुल तुम दोनों के पहुँचने के बाद जान जाऊंगा।

दोनों ने हाँ में सर हिलाया और तीसरा दोस्त जल्दी से जिस रास्ते जंगल में आया था उसी रास्ते दौड़कर जाने लगा यह देख दोनों ज्ञान के घमंड में चूर मित्र उसे देख कर हंसने लगे, लेकिन तीसरे मित्र ने न आव देखा न ताव और वह तेज भागता ही चला गया।

दोनों मित्रों ने हंसना बंद किया और पहले ने दूसरे से कहा की जल्दी इसमें जान फूकों फिर हमें अपने बेवकूफ मित्र से पहले गुरुकुल भी पहुँचना है। दूसरे मित्र ने मन्त्र पढ़ना चालू किया और हड्डियों में खाल चढ़ने लगी और जान आने लगी और उन हड्डियों ने एक विशालकाय शेर का रूप ले लिया। यह देख दोनों ही मित्रों की घिग्गी बंध गयी इससे पहले की वह कुछ कर पाते।

शेर ने मन्त्र पढ़ने वाले मित्र को खा लिया और दूसरे की तरफ झपटा जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया। शेर ने दोनों ही मित्रों को अपना आहार बना लिया और तीसरा मित्र अगले दिन अपने गुरुकुल पहुंचा जहाँ जाकर उसने सब वाकया बताया। सभी गुरुजन समझ गए की ज्यादा ज्ञान के वशीभूत होकर ही दोनों ने अपने प्राण गवां दिए।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ज्ञान के घमंड में चूर होकर व्यवहारिक समझ खो देने से विनाश ही होता है इसलिए ज्ञान का सदुपयोग करें न की उस पर घमंड करें। कई बार हम ज्ञान तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन समाज में रहने के लिए व्यवहारिक समझ को प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ज्ञान के साथ-साथ सही गलत, अच्छे बुरे की समझ होना भी जरुरी है।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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