जोड़ों का दर्द का इलाज – समस्या और आयुर्वेदिक समाधान

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जोड़ों का दर्द का इलाज इन हिंदी

जोड़ों का दर्द का इलाज इन हिंदी :  जोड़ों का दर्द का इलाज इन हिंदी, जोड़ों का दर्द के कारण, जोड़ो में दर्द के घरेलू उपाय, घुटनों में दर्द का कारण, Joint Pain Treatment – Problem And Ayurvedic Solution in hindi आदि प्रश्नों के उत्तर हम आपको इस लेख के माध्यम से देने जा रहे हैं।

सबसे ज्यादा प्रचलित बीमारियों में आजकल डायबिटीज के बाद अगर कोई दूसरा नंबर है तो वह है जोड़ो का दर्द, इंग्लिश में इसे जॉइंट पैन कहा जाता है। अगर देखा जाये तो लगभग हर घर में हमें जोड़ों के दर्द से परेशान मरीज जरूर मिल जायेंगे। कुछ स्लिप डिस्क से परेशान हैं तो कुछ सायटिका से परेशान हैं, कुछ घुटनों के दर्द से परेशान हैं तो कुछ कमर दर्द से परेशान हैं। सीधे शब्दों में कहा जाये तो ये बीमारी लगभग सभी के जी का जंजाल बन चुकी है। इस दर्द के चपेट में अब हर आयु वर्ग लोग आ रहे है।

एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 60-70% महिलाएं और 30-40% पुरुष किसी न किसी रूप में जोगों के दर्द से परेशान रहते हैं। महिलाओं की इतनी चौंकाने वाली संख्या इस तरफ इशारा करती है कि कुछ न कुछ महिलाओं कि लाइफ स्टाइल में गड़बड़ है या खान-पान में गड़बड़ है जिसके कारण उनको जोड़ों के दर्द से ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है।

एक अध्ययन से पता चला है की जिन महिलाओं ने डिलीवरी के बाद चीनी का सेवन किया वो सभी महिलाएं कुछ ही सालों में जोड़ों के दर्द जैसी समस्या का शिकार बनने लग जाती हैं।

क्यों होता है जोड़ों का दर्द

साइटिका, जोड़ों का दर्द, आर्थराइटिस, या फिर गठिया वात जैसे कई नामों से जानी जाने वाली इस बीमारी के होने के कई कारण हैं। आयुर्वेद की भाषा में त्रिदोष (वात, पित्त, और कफ) में से यदि कोई भी अन-बेलेंस हो जाये तो हम बीमार हो जाते हैं। इसके अन-बेलेंस होने के कुछ भी कारण हो सकते हैं जैसे खान-पान, अनियंत्रित दिनचर्या, आहार, व्यायाम और विश्राम में कॉम्बिनेशन न होना आदि।

ज्यादातर पुरुष वेट लिफ्टिंग, मोटापा, फॉरवर्ड बैंडिंग वाली एक्सरसाइज करना, आहार अनुरूप व्यायाम न करना आदि कारणों से इस बीमारी के शिकार बनते हैं। मोटापा, मेहनत या व्यायाम न करना, धूप में बहुत ही कम रहना और अनियंत्रित दिनचर्या एवं भोजन में पौष्टिकता की कमी, जंक और फास्ट फूड का अधिक सेवन, भोजन में कैल्शियम की कमी आदि इसके कुछ मुख्य कारण हैं। महिलाओं में इस प्रकार की समस्या होने के कुछ विशिष्ट कारण हैं जिनमें से कुछ यहाँ दिए जा रहे हैं :-

  1. ज्यादातर महिलाएं कद काठी में आकर्षक दिखने के लिए 1 इंच से ज्यादा ऊँची हील पहनती हैं। हील का डिजाईन इस प्रकार होता है की हील पहनने के बाद किसी भी महिला की रीढ़ की हड्डी सीधी न रहकर एक विशिष्ट एंगल में झुकी रहती हैं। ये झुकाव बॉडी में फॉरवर्ड बैंडिंग क्रिएट करता है जिसके कारण सबसे पहले कमर दर्द शुरू होता है फिर रीढ़ की हड्डी के जोड़ों का दर्द शुरू होता है फिर सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस और बाकी की समस्याएं उत्पन्न होती हैं इसलिए प्रयास करें ऊंची हील की सैंडिलों का प्रयोग कम से कम करें और संभव हो तो छोड़ दें।
  2. प्राचीन काल में महिलाओं को डिलीवरी के बाद खान-पान में काफी सावधानियां बरतने के लिए कहा जाता था किन्तु अब ट्रेंड बदल गया है। आजकल महिलाएं डिलीवरी के बाद भी खान-पान में उतनी सावधानियां नहीं रख पाती हैं। कहीं न कहीं ये लापरवाही उन्हें बीमार कर रही है।
  3. भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ आर एन वर्मा जी ने कई महिलाओं पर अध्ययन करके यह निष्कर्ष दिया की डिलीवरी के बाद जिन महिलाओं ने चीनी का इस्तेमाल किया उनको जोड़ों के दर्द कि समस्याएं ज्यादा हैं जबकि जिन्होंने चीनी के प्राकृतिक अल्टरनेट का उपयोग किया उनको समस्या कम है। स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता राजीव दीक्षित के स्वास्थ्य व्याख्यानों पर अनुसन्धान करने वाले डॉ वर्मा ने यहाँ तक कहा कि चीनी सफ़ेद जहर है और जितनी जल्दी संभव हो इसे छोड़ दो।
  4. सूर्य की धूप न लेना भी कहीं न कहीं शरीर में विटामिन B12 और विटामिन डी की कमी कर देता है और ये भी जोड़ों के दर्द का एक बढ़ा कारण है। ये पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लागू होता है इसलिए प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट तक सूर्य की रौशनी में टहलना चाहिए ताकि शरीर में विटामिन डी की कमी न हो।

जोड़ों का दर्द ठीक करने के घरेलू उपाय –

  1. संभव हो तो रात का भोजन सूर्यास्त के पहले ग्रहण कर लें और रात को केवल दूध का सेवन करें।
  2. पानी हमेशा बैठ कर और घूंट-घूंट करके पियें।
  3. फ्रिज का ठंडा पानी न पियें।
  4. खाना खाने के 40 मिनट पहले से लेकर खाना खाने के बाद 90 मिनट तक पानी न पियें। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने का सही तरीका
  5. रात के समय द्विदल वाली दालों जैसे चना, अरहर आदि का सेवन न करें।
  6. रात में दही और ठन्डे पदार्थों का सेवन न करें।
  7. दिन भर कुछ भी खाते रहने की आदत छोड़कर केवल तीन बार भोजन करने का नियम बना लें।
  8. हल्दी-दूध, हल्दी-मेथी-सौंठ-दूध, चूने का पानी आदि का सेवन करें।
  9. कैल्शियम युक्त पौष्टिक भोजन ग्रहण करें और जंक फ़ूड खाने से परहेज करें।

आयुर्वेदा में जोड़ों का दर्द ठीक करने के उपाय

  1. Vagbhatt Vat rakshak Ark – Vagbhatt Vat rakshak Ark एक शक्तिशाली पंचगव्य उपाय है जिसका उपयोग वात और कफ से संबंधित बीमारियों जैसे जोड़ों के दर्द, सर्दी और खांसी, अस्थमा आदि के लिए किया जा सकता है। इसको बनाने में गौमूत्र अर्क और आयुर्वेद की कुछ ऐसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया गया है जो हमारे शरीर में वात और कफ की अन-बेलेंसिंग को रोकने का काम करती हैं। इसलिए इसके इस्तेमाल से शरीर में वात विकारों जैसे जोड़ों का दर्द, ठण्ड के कारन होने वाला दर्द आदि में तुरंत आराम मिलता है। इस उत्पाद को खरीदने के लिए क्लिक करें।
  • Vagbhatt Joint Care Swaras (Juice) – यह एक प्रकार का फूड सप्लीमेंट है जो हमारे लिए वरदान है इसका उपयोग कई समस्याओं के लिए किया जाता है जैसे ऑस्टिओआर्थरिटिस, रहूमटॉइड आर्थराइटिस, जॉइंट पैन, फ्रैक्चर पैन, मस्कुलर पैन आदि। ये एक पूर्णतः प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदा का उत्पाद है। जिसे किसी भी उम्र के लोगों के द्वारा उपयोग में लाया जा सकता है। यदि दर्द अत्यधिक हो और जोड़ों में सूजन भी आ चुकी हो तो इसके साथ वात रक्षक तेल और वात रक्षक अर्क का इस्तेमाल भी करना चाहिए। इस उत्पाद को खरीदने के लिए क्लिक करें
  • Vagbhatt Trifala Juice – वाग्भट्ट त्रिफला जूस आंवला, हरड़े और बहेड़ा का एक ऐसा कॉम्बिनेशन है जिसे 1:2:3 में बनाया गया है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ की अन-बेलेंसिंग को ठीक करके हमें रोग मुक्त रखने का काम करता है। इस उत्पाद को खरीदने के लिए क्लिक करें

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