बकरी और जादूगर कसाई की कहानी

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बकरी और जादूगर कसाई की कहानी

बकरी और जादूगर कसाई की कहानी हिंदी में :- एक समय की बात है एक गाँव में एक कसाई रहता था, उसके पास ढेर सारी बकरियाँ थी और उसको जादू करने शोक था। दिन में वो अपना कसाई का काम करता था और रात को लोगों के मनोरंजन के लिए जादू के करतब करता था।

दिन में जब वह किसी बकरी को काटता था तब बाकी बकरीयाँ यह देखकर चीखती, चिल्लातीं और रोती थीं। साथ ही कुछ बकरियाँ तो बाड़े से बाहर कूद कर भाग भी जाया करती थीं।

बाडे से बाहर निकल कर भाग गयी बकरियों को ढूंढने और पकड़कर कर लाने में कसाई का काफी समय बर्बाद होता था। कई बार तो उसे बकरी ढूंढने में कई दिन भी लग जाया करते थे और कभी-कभी तो भागी हुई बकरी मिलती ही नहीं थी।

इस सब घटना की वजह से कसाई की मेहनत और काफी समय बर्बाद होता था। इस सबसे कसाई काफी परेशान रहा करता था।

एक रात उसका दिमाग खनका और एक बात उसके दिमाग में आयी की वह तो एक जादूगर भी है और लोगों को सम्मोहित करने का तरीका जानता है। तो क्यों न वह यह सम्मोहन की कला बकरियों पर आजमाये और उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दे की वह बकरी नहीं बल्की कुछ और हैं।

यह सब बात दिमाग में सोचकर कसाई अगले दिन सुबह जल्दी उठा और एक-एक बकरी के पास जाकर उनको सम्मोहित करने लगा। एक बकरी को उसने सम्मोहित किया और कहा की तुम बकरी नहीं बल्की भेड़ हो। दूसरी को कहा तुम बकरी नहीं गाय हो, तीसरी को कहा तुम भैंस हो, तो किसी बकरी को शेर, किसी को चीता, तो किसी बकरी को कहा की तुम बकरी नहीं इंसान हो।

एसे करते-करते कसाई ने सभी बकरियों को सम्मोहित कर दिया और उन्हें यकीन दिला दिया की उन बकरियों में से कोई भी बकरी नहीं है। यह सब करके कसाई को यह फायदा हुआ की अब कसाई जिस भी बकरी का कत्ल करता तो कोई भी और बकरी न तो रोतीं थी, न तो चिल्लातीं थीं और न ही कोई बकरी बाड़े से कूदकर भाग कर कहीं जाती थी।

क्योंकि हर बकरी यही सोचती थी कि जो मर रही है वो तो बकरी है और वह खुद गाय, भेड़, शेर या इंसान है तो वह बकरी के मरने पर चिंता क्यों करे। कसाई तो केवल बकरी को मारता है वह भला मुझे थोड़े ही मारेगा।

ऐसा सिलसिला जारी रहा, एक-एक करके कसाई बकरीयाँ मारता गया और एक दिन ऐसा भी आया की बाड़े की सारी बकरियाँ मर गयीं।

कहानी से शिक्षा –
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों को यह तय न करने दें कि आप क्या हैं। आप खुद तय करें कि आप बकरी हैं, गाय हैं या शेर। जीवन भर कभी आपके माता-पिता, कभी आपके शिक्षक और कभी आपके मित्र आपको बताते हैं कि आप यह काम कर सकते हैं और यह नहीं, आप ऐसे हैं या वैसे। जीवन भर दूसरे लोग ही आपके व्यक्तित्व को तय करते हैं। ऐसा न होने दें और खुद तय करें कि आप क्या हैं।

जो पढ़ा है और जो दूसरों द्वारा बताया गया है। उसी को अंतिम सत्य न मान लें, खुद पढें, चीजों को परखें और खुद फैसला करें, नहीं तो दूसरे के सम्मोहन में फंसकर आपका भी वही हाल होगा जो बकरियों का हुआ था।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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