पल्स रेट बढ़ने के कारण और उपाय

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पल्स रेट बढ़ने के कारण और उपाय

पल्स रेट बढ़ने के कारण और उपाय ( Pulse rate badhne ke karan aur upay ) : पल्स रेट का बढ़ना यानी दिल की धड़कन का अचानक से तेज होना, धड़कन का स्किप यानी रुक जाना और धड़कन कम हो जाना, ये सभी हृदय रोग से जुड़ी समस्याएं हैं। ज्यादा मेहनत वाले काम या वर्कआउट करने के दौरान पल्स रेट यानी दिल की धड़कन का बढ़ना सामान्य है लेकिन वर्कआउट किए बिना और बिना किसी रोग के भी आपके दिल की धड़कन बढ़ती हैं, तो उसे नजर अंदाज न करें। दिल की धड़कन यानी पल्स रेट का बढ़ना, कई गंभीर बीमारी जैसे हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, कार्डियक अरेस्ट, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर आदि का कारण भी हो सकता है।

पल्स रेट बढ़ने के कारण और उपाय (Causes and remedies for increased Pulse rate in hindi)

एक सामान्य व्यक्ति का पल्स रेट यानी दिल की धड़कन 60-100 बीट प्रति मिनट की गति से धड़कता है। कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे दौड़ते समय, वर्कआउट के समय या घबराहट के समय इस गति में बढ़ोतरी हो जाती हैं, लेकिन इसकी सीमा भी 120 बीट प्रति मिनट है। दिल की धड़कन की रफ्तार 120 के पार जाना खतरनाक साबित हो सकता है। यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता हैं।

पल्स रेट बढ़ने का कारण गंभीर या हानिकारक नहीं होता हैं, यदि आपको पल्स रेट बढ़ने का कभी-कभी अनुभव होता हैं, जो कुछ सेकंड तक रहता है और फिर ठीक हो जाता है, तो इसमें चिंतित होने की कोई बात नहीं है लेकिन अगर आपको हृदय रोग है और आप बार-बार पल्स रेट बढ़ने का अनुभव करते हैं, तो आपको जल्द ही अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आइए विस्तार में जाने हमारे इस आर्टिकल से पल्स रेट बढ़ाने के कारण, उपाय और इलाज के बारे में।

पल्स रेट बढ़ने के कारण ( Causes of Pulse rate Increase in hindi )

  • भावनात्मक प्रक्रिया जैसे भय, घबराहट, तनाव या चिंता जैसी स्थिति में प्लस रेट बढ़ सकता हैं।
  • जोरदार शारीरिक गतिविधि यानी मेहनत वाले काम और वर्कआउट करते समय दिल की धड़कनों का बढ़ना सामान्य है।
  • धूम्रपान, कैफीन और शराब जैसे उत्तेजक पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन, प्लस रेट बढ़ाने का कारण बन सकता है।
  • चिकित्सा की स्थिति जैसे मधुमेह, हाइपोटेंशन, थायराइड रोग, बुखार आदि के कारण भी दिल की धड़कने तेज़ हो सकती है।
  • गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिससे कई बार गर्भवती महिला की दिल की धड़कने तेज़ होने लगती हैं।
  • कुछ विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन और उनका साइड इफेक्ट, पल्स रेट बढ़ाने का कारण बन सकता है।
  • यदि आपको दिल से जुड़ी कोई भी बीमारी हैं तो आपका पल्स रेट बढ़ सकता हैं।

पल्स रेट बढ़ने के लक्षण

  • दिल का तेजी से धड़कना।
  • सांस लेने में परेशानी होना।
  • कमजोरी महसूस होना।
  • सहन-शक्ति का कमजोर होना।
  • चक्कर आना या आंखों के सामने अँधेरा छाना।
  • छाती में दर्द होना।

पल्स रेट बढ़ने से रोकने के उपाय ( Measures to stop Pulse rate increase in hindi )

  • संतुलित आहार का सेवन करें। अपने खानपान में हेल्दी चीज़ों को शामिल करें, जिससे हार्ट अटैक यानी दिल के दौरे के खतरे को टाला जा सकें। दिल के रोगों में बादाम, अखरोट, काजू, मछली और अंडा आदि खाना फायदेमंद माना जाता है।
  • कई बार काम या वर्कआउट के दौरान भी प्लस रेट बढ़ने के साथ-साथ सीने में दर्द, जबड़े में दर्द और सांस लेने में परेशानी होने लगती हैं। ऐसे में आप तुरंत काम बंद कर दें और लेट जाएं।
  • शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं। अगर आपको अपनी धड़कन बढ़ी हुई महसूस हों, तो आप तुरंत बैठ जाएं या लेट जाएं और 2 मिनट शांत अवस्था में रहने के बाद 1 ग्लास पानी पिएं।
  • धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन करने से बचें। इसके अलावा अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने से भी बचें।
  • स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है, सामान्यतः 6-7 घंटे की नींद पर्याप्त है। अगर आपके दिल की धड़कन कुछ दिनों से असामान्य चल रही है, तो आपको कम से कम 7-9 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।
  • कुछ विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन भी कई बार पल्स रेट बढ़ने का कारण बनता है ऐसे में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
  • शारीरिक गतिविधियों में सुधार लाएं और रोजाना योग करें। योग करने से दिल की बीमारियों का खतरा  43% तक कम हो जाता हैं। अगर आपके दिल की धड़कन अक्सर ही असामान्य रहती हैं, तो आपको ऑक्सीमीटर या फिटनेस बैंड का प्रयोग करना चाहिए, ताकि आप अपने दिल की धड़कन पर नजर रख सकें।
  • यदि आप लम्बे समय से तनाव से गुजर रहे हैं तो यह आपके पल्स रेट बढ़ने का कारण बन सकता है इसलिए तनाव को अपने ऊपर इतना भी हावी न होने दे कि यह आपको नुकसान पहुंचने लगे।

पल्स रेट बढ़ने का इलाज

पल्स रेट बढ़ने के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा हार्ट का अल्ट्रासाउंड, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, होल्टर मॉनिटरिंग और इवेंट रिकॉर्ड जैसे परीक्षण किए जाते हैं इसके अलावा कुछ अन्य परीक्षण हैं जो बेहतर निदान के लिए किए जाते हैं जैसे ब्लड टेस्ट, ईसीजी, यूरीन टेस्ट, स्ट्रेस टेस्ट और छाती का एक्स-रे आदि लेकिन यह परीक्षण तब किए जाते हैं, जब आपका डॉक्टर मानता है कि आपको दिल की गंभीर बीमारी है। अन्यथा हल्के मामलों में, उपचार की आवश्यकता नहीं होती हैं।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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