अमलतास के फायदे और नुकसान – Amaltas (Golden Shower)

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अमलतास के फायदे और नुकसान - Amaltas (Golden Shower)

अमलतास के फायदे और नुकसान ( amaltas ke fayde aur nuksan ) : अमलतास एक प्रकार का पेड़ है जो मध्यम आकार का होता है। अमलतास (Golden Shower) के फूल पीले रंग के और बहुत सुंदर होते हैं जिनका उपयोग घर की सजावट के लिए किया जाता है। अमलतास एक बहुत ही गुणकारी पेड़ है जिसके फूल, फल, जड़, पत्ते और तने की छाल का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है। अमलतास की तासीर ठंडी होती है।

अमलतास के फायदे और नुकसान (Benefits and harms of Amaltas in hindi)

अमलतास शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है। अमलतास में ऐसे बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं जो विभिन्न रोगों से सुरक्षा करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। अमलतास की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका उपयोग अधिकांशतः गर्म क्षेत्रों में किया जाता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula) है।

अमलतास को इस्तेमाल करने का सही तरीका

अमलतास का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए 20 से 40 मिली और फलमज्जा का उपयोग 15 से 20 ग्राम तक ही करना चाहिए। ध्यान रहे अमलतास का आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल करने से यह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। किसी भी रोग या एलर्जी के इलाज के दौरान अमलतास का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

अमलतास के अन्य भाषाओं में नाम

अमलतास को हिंदी भाषा में अमलतास, सोनहाली व सियरलाठी और अंग्रेजी में कैसिया व स्टिक कहा जाता है। इसके अलावा अमलतास को आरग्वध, राजवृक्ष व शम्पाक, उर्दू में अमलतास, ओड़िया में सुनारी, असमिया में सोनोरु, कन्नड़ में कक्केमरा, गुजराती में गर्मालो, तेलुगु में आरग्वधामु व सम्पकमु, तमिल में कोन्डरो, कावानी व कोरेकाय, बंगाली में सोनाली व सोनूलु, नेपाली में अमलतास, पंजाबी में अमलतास व करङ्गल और मराठी में बाहवा कहा जाता है।

अमलतास के फायदे (Benefits of Amaltas in hindi)

  • अमलतास का सेवन पेट के लिए बेहद फायदेमंद होता है। अमलतास के 2 से 3 पत्ते ले और इनमें नमक व मिर्च मिलाकर इसका सेवन करें। ऐसा करने से पेट साफ़ और स्वस्थ्य रहता है। अमलतास के फल की मज्जा को पीसकर इसका लेप बना लें और बच्चों की नाभि के चारों ओर लेप लगाएं, अमलतास का लेप लगाने से बच्चों में पेट दर्द की समस्या ठीक हो जाएगी और उनका पेट स्वस्थ रहेगा।
  • अमलतास मुँह में होने वाले छालों को ठीक करने में भी बेहद फायदेमंद होता है। मुँह में होने वाले छालों को दूर करने के लिए अमलतास के फल की मज्जा को हरे धनिये के साथ पीस लें। इस पिसे हुए मिश्रण में थोड़ा सा कत्था मिलाकर इसे चूसें इससे छाले ठीक हो जायेंगे। अमलतास के गूदे को मुँह में रखकर इसे चूसे ऐसा करने से भी छालों को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा नाक की फुंसियों को ठीक करने के लिए भी अमलतास के पत्तों और छालों को पीसकर इसे नाक की फुंसियों पर लगाने से फुंसियां ठीक हो जाती है।
  • अमलतास के फूलों का उपयोग कब्ज की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है। कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या ठीक हो जाती है। कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए 10 से 15 ग्राम अमलतास के फल का गूदा लेकर इसके साथ मुनक्के के रस का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है।
  • अमलतास बुखार को ठीक करने में बेहद फायदेमंद होता है। बुखार की समस्या को दूर करने के लिए अमलतास फल, पिप्पली जड़, हरीतकी, मोथा और कुटकी को समान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े को पीने से बुखार उतर जाता है और आराम मिलता है। इसके अलावा अमलतास खांसी को ठीक करने में भी सहायक होता है। अमलतास फल की मज्जा, पिप्पली जड़, हरीतकी, कुटकी और मोथा की समान मात्रा लेकर इनका काढ़ा बना लें और इसे पीए इससे खांसी ठीक हो जाएगी।
  • अमलतास का उपयोग टॉन्सिल को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। अमलतास की जड़ की छाल लेकर इसे थोड़ा पानी में डालकर पकाने रख दें। अच्छी तरह पक जाने के बाद इसका पानी हल्का गुनगुना रह जाए तो हल्के हाथ से मुंह में डालें इससे टॉन्सिल में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा गले के रोगों को ठीक करने के लिए भी अमलतास का सेवन किया जाता है।
  • अमलतास का इस्तेमाल चोट लगे घावों को भरने के लिए किया जा सकता है। अमलतास, चमेली और करंज के पत्तों को गाय के मूत्र में डालकर पीस लें और इसका लेप बना लें। इस मिश्रण के लेप को घाव पर लगाने से यह घाव भरने में मदद करता है।
  • इसके अलावा अमलतास गठिया के रोगियों के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। अमलतास के 10 से 12 पत्तों को गर्म करके उनको दर्द होने वाले भाग पर पट्टी लगाकर बांध लें इससे गठिया में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
  • अमलतास का उपयोग मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। अमलतास के पत्तों को पानी में तब तक पकाए जब तक पानी आधा न रह जाए। पानी का काढ़ा बन जाने के बाद इसका सेवन करें इससे मधुमेह में होने वाली समस्याएं ख़त्म हो जाएंगी।
  • अमलतास का इस्तेमाल पीलिया रोग में भी किया जाता है। अमलतास के फल के गूदे में गन्ने, भूमि कूष्मांड या आंवले का रस लेकर इनकी समान मात्रा को मिला लें। इस मिश्रण को दिन में दो बार पीए इससे पीलिया ठीक हो जाता है।
  • अमलतास का उपयोग बवासीर रोग के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। अमलतास, चमेली और करंज के पत्तों की समान मात्रा लेकर इन्हे गाय के मूत्र के साथ पीस लें। अब इस लेप को बवासीर के मस्से पर लेप की तरह लगाए इससे बवासीर की समस्या ठीक हो जाती है। इसके अलावा अमलतास का इस्तेमाल अंडकोष वृद्धि को रोकने के लिए भी किया जाता है। अमलतास के फल का गूदे को पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें और इसमें गाय का घी मिला लें। इस मिश्रण का सेवन करने से अंडकोष वृद्धि यानि हाइड्रोसील के बढ़ने की परेशानी को ठीक किया जा सकता है।
  • अमलतास के फूल आंतों से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में बेहद फायदेमंद होता है। अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर इसका सेवन करने से आंतों से संबंधित रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। जिन बच्चों के शरीर में आंतों के रोग के कारण जलन होने लगती है वे अमलतास के फल की मज्जा के साथ लगभग 2 से 4 मुनक्के का सेवन करें इससे जलन की समस्या ठीक हो जाती है पर ध्यान रहे ये औषधि केवल 4 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए ही है।

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अमलतास के नुकसान (Losses of Amaltas in hindi)

  • अमलतास का सेवन डायरिया एवं खसरे से पीड़ित रोगियों के लिए हानिकारक होता है।
  • अमलतास का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी-दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अमलतास का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

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