पिप्पली के फायदे और नुकसान – Long pepper (Pippali)

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पिप्पली के फायदे और नुकसान - Long pepper (Pippali)

पिप्पली के फायदे और नुकसान ( Pippali ke fayde aur nuksan ) : पिप्पली के बहुत से फायदे और नुकसान होते हैं, पिप्पली एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि है जिसके गुण काली मिर्च के समान ही होते हैं परन्तु यह दिखने में लंबी होती है और काली मिर्च छोटी होती है। पिप्पली एक सुगंधित औषधि है जिसकी जड़, पत्तों एवं बीजों का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है। Advantage and disadvantage of Pippali in hindi.

पिप्पली के फायदे और नुकसान (Benefits and harms of Pippali in hindi)

पिप्पली औषधि का उपयोग ताजे रूप में या सुखाने के बाद दोनों तरीकों से किया जाता है। पिप्पली में ऐसे बहुत से गुण पाए जाते हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। पिप्पली का उपयोग कई तरह के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है।

पिप्पली की खेती

पिप्पली की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में अधिक उत्तम तरीके से की जाती है। भारत में पिप्पली की खेती असम, बंगाल और वर्मा जैसे क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर की जाती है। इसके अलावा पिप्पली की खेती श्रीलंका और सिंगापुर जैसे देशों में भी की जाती है।

पिप्पली का अन्य भाषाओं में नाम

पिप्पली को हिंदी में पीपली, पीपर व उर्दू पिपल और अंग्रेजी में लॉन्ग पेपर व इंडियन लॉन्ग कहा जाता है। इसके अलावा पिप्पली को संस्कृत में पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला आदि, उड़िया में बैदेही, कोंकणी में पिपली, कन्नड़ में हिप्पली, तेलुगु में पिप्पलु व पिप्पलि, गुजराती में पीपर व पीपरीजड़, नेपाली में पीपला व पिपुल, पंजाबी में पिप्पलीजड़, मलयालम में तिप्पली और बंगाली में पीपुल व पिप्पली कहा जाता है।

पिप्पली के फायदे (Benefits of Pippali in hindi)

  • पिप्पली का उपयोग खासी-जुकाम को ठीक करने के लिए किया जाता है, एक बड़ी पिप्पली को घिसें और इसमें 125 मिग्रा शहद मिलाकर इसे चाटे इससे बच्चों को होने वाले खांसी को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा बच्चों में बुखार खांसी और तिल्ली बढ़ जाने पर भी इस मिश्रण का सेवन कर सकते है।
  • जुकाम को ठीक करने के लिए पीपलजड़, पीपल, काली मिर्च और सौंठ की समान मात्रा लेकर इनका चूर्ण तैयार करें उसके बाद इस चूर्ण के साथ शहद को चाटते रहने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  • पिप्पली सांस संबंधी विभिन्न रोगों को ठीक करने में सहायक होती है, पिप्पली के चूर्ण का दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से यह सांस संबंधी सामान्य रोगों को ठीक करने में मदद करता है।
  • पिप्पली ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और खांसी जैसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। पिप्पली के नियमित रूप से सेवन करने से यह अस्थमा की समस्याओं को बहुत कम कर देता है।
  • पिप्पली रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती है, पिप्पली के सेवन से यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक हृदय संबंधी रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। पिप्पली के अर्क का सेवन हृदय संबंधी रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है इसके अर्क का नियमित रूप से सेवन करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है जिससे उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप की समस्या ठीक होने लगती है।
  • पिप्पली गठिया रोग के लिए बहुत फायदेमंद होती है, पिप्पली में ऐसे बहुत से गुण पाए जाते हैं जो गठिया में होने वाले जोड़ों के दर्द, सूजन और ऐंठन को ठीक करने में मदद करते हैं। गठिया रोग के उपचार के लिए पिप्पली को एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में अपनाया जाता है यह गठिया के लगभग 50 प्रतिशत लक्षणों को कम करने में मदद करती  है।
  • पिप्पली पाचन क्रिया को मजबूत बनाने और विभिन्न रोगों से लड़ने में भी मदद करती है। कब्ज की समस्या होने पर पिप्पली जड़ को पीसकर इसे दूध और अडूसे के रस में मिलाकर पीने से यह कब्ज और आंत संबंधी समस्याओं को ठीक करता है।
  • पिप्पली का सेवन वजन घटाने के लिए किया जाता है। पिप्पली में ऐसे बहुत से गुण होते हैं जो शरीर के अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद करते हैं। पिप्पली शरीर में वसा को कम करने और लिपिड लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  • इसके अलावा डेंगू के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होती है, पिप्पली के अर्क का नियमित रूप से सेवन करने पर यह डेंगू के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

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  • पिप्पली मधुमेह यानि डायबिटीज के रोगियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। एक अध्ययन के अनुसार पिप्पली की जड़ का अर्क मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है, पिप्पली रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है और साथ ही यह मधुमेह में होने वाली सभी समस्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पिप्पली का सेवन लिवर से संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। पिप्पली लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ्य रखने के साथ-साथ उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • पिप्पली शरीर में होने वाले दर्द को कम करने में सहायक होती है, नियमित रूप से पिप्पली का सेवन करने से यह शरीर को फुर्ती प्रदान कर एक सुखद अहसास की अनुभूति कराने में मदद करता है।
  • पिप्पली में दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं जो न केवल शरीर दर्द बल्कि सिर में होने वाले दर्द को कम करने में भी मदद करता है। पिप्पली को पानी में पीसकर इसका लेप माथे पर लगाने सिरदर्द की समस्या को ठीक किया जा सकता है। 2 ग्राम पिप्पली के चूर्ण को मक्खन में पकाने के बाद इसे छानकर 1-2 बूंदे नाक में डालने से भी सिरदर्द में राहत मिलती है।
  • पिप्पली एनीमिया के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होती है, पिप्पली के साथ शहद, घी, मिश्री, दूध, दालचीनी, इलायची, नागकेसर और तमाल पत्र को उचित मात्रा में ले लें। इन सबके मिश्रण को अच्छी तरह मसलने के बाद पका लें और लड्डू बना लें। इन लड्डुओं का सेवन करने से एनीमिया की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को भी पिप्पली के सेवन से ठीक किया जा सकता है, पिप्पली, सोंठ, मरीच व नागकेसर की समान मात्रा लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को घी में मिलाकर 1 से 2 ग्राम दूध के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • पिप्पली का सेवन प्रसव प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए किया जाता है, 3 ग्राम पिप्पली जड़ के साथ 3 ग्राम पुष्कर जड़ को मिलाने के बाद इसे 400 मिली पानी में तब तक पकाएं जब तक पानी 100 मिली का न हो जाए। उसके बाद इसमें हींग या शहद मिलाकर पीने से यह प्रसव में होने वाली समस्या को कम करने में मदद करता है।
  • पिप्पली महिलाओं के स्तनों में दूध को बढ़ाने में भी मदद करती है, जिन महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं होता वे 2 ग्राम पिप्पली फल के चूर्ण के साथ आधा चम्मच शतावर मिलाकर शहद के साथ खाएं इससे दूध में बढ़ोतरी होगी।
  • पिप्पली टीबी के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है, 250 ग्राम पिप्पली में 250 ग्राम गुड़ को मिलाकर इसका पेस्ट बनाने के बाद इसे 1 किलो गाय के घी और 4 लीटर बकरी के दूध के साथ पकाएं। इस मिश्रण को धीमी आंच में पकाएं और जब घी ही मात्र रह जाए तो इसका 1 चम्मच रोजाना सेवन करें।
  • जलरीलें कीड़ों के काटने पर भी पिप्पली का उपयोग किया जाता है इसके लिए कीट के काटे हुए भाग पर पीसी हुई पिप्पली लगाए इससे जहर ख़त्म होने में मदद मिलेगी।

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पिप्पली के नुकसान (Losses of Pippali in hindi)

  • पिप्पली का इस्तेमाल त्वचा पर नहीं करना चाहिए इससे त्वचा पर जलन, पिंपल व झाइयां होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को तीन महीनों के पश्चात पिप्पली का सेवन नहीं करना चाहिए यह उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
  • पिप्पली की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका आवश्यकता से अधिक सेवन करने से पेट में जलन जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। कमजोर पाचन तंत्र वाले व्यक्ति पिप्पली का सेवन करने से बचें यह इनके लिए नुकसानदायक हो सकती है।
  • यदि आप किसी अन्य बीमारी का इलाज करा रहे है या अन्य दवाइयों का सेवन कर रहे है तो पिप्पली का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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Sumit Raghav
Sumit Raghav
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