थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार

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थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार ( thyroid ka ayurvedic upchar )

थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार ( thyroid ka ayurvedic upchar ) : थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार कई है। थाइराइड, थाइराइड ग्रंथि से जुड़ा एक रोग है जो थायराइड ग्रंथि के कम या अधिक सक्रीय होने के कारण उत्पन्न होता है। थायराइड के सामान्य लक्षण कांपना, अशांत रहना, दस्त, दिल की धड़कन तेज होना है जिसके निवारण के आयुर्वेद द्वारा कई उपचार अपनाए जाते है। थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार की विस्तृत जानकारी आगे दी गयी है –

थायराइड के लक्षण ( Symptoms of thyroid in hindi )

थायराइड के लक्षण कई होते है जिनके सामान्य परिणामों के साथ कभी-कभी गंभीर परिणाम भी हो सकते है।

  • आलस्य
  • बाल झड़ना
  • कांपना
  • मोटापा
  • कमजोरी और एलर्जी में कमी
  • अनिद्रा
  • जोड़ो में दर्द
  • कमजोरी
  • कमजोर याददाश्त
  • भूख न लगना
  • दस्त
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • अशांति

थायराइड के कारण (Causes of thyroid disease in hindi)

यद्यपि थायराइड को एक आनुवंशिक रोग माना जाता है परन्तु यह रोग कुछ असामान्य स्थितियों में भी  उत्पन्न हो जाता है। थायराइड के कारण निम्नलिखित है –

  1. पौष्टिक आहार कमी और आहार में आयोडीन की कमी या अधिकता होना।
  2. अधिक तनावपूर्ण जीवन।
  3. थायराइड रोग अनुवांशिक हो सकता है, परिवार में किसी व्यक्ति को होने पर यह अन्य व्यक्ति में भी हो सकता है।
  4. गर्भवती महिलाओं शारीरिक परिवर्तनों के कारण थायराइड से ज्यादा ग्रस्त रहती है।
  5. भोजन में सोया युक्त उत्पादों का अधिक मात्रा में सेवन करना।

थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार ( Ayurvedic Treatment for Thyroid in hindi )

  • थायराइड के रोगियों के लिए अश्वगंधा का उपयोग करना लाभकारी होता है, अश्वगंधा में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के गुण पाए जाते है जो थायराइड के लक्षणों को दूर करने में मददगार होती है। अश्वगंधा का सेवन करने से थायराइडके के रोगियों को लाभ होता है।
  • थायराइड रोग से पीड़ित रोगियों के लिए मुलेठी बेहद उपयोगी होती है, मुलेठी में ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड पाया जाता है जो शरीर में थाइराइड को उत्पन्न करने वाले सेल्स को बढ़ने से रोकने में सहायक होते है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – थायराइड में मुलेठी के फायदे
  • थायराइट में तुलसी का इस्तेमाल करें, तुलसी से बने पेय पदार्थ या तुलसी के पत्तों को चबाने से थायराइड के लक्षणों को कम किया जा सकता है। तुलसी के रस में थोड़ा एलोवेरा का जूस मिलाकर इसका सेवन करने से भी थायराइड के रोगियों को लाभ होता है। इसके अलावा धनिया का पानी पीना भी थायराइड के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।
  • थायराइड की परेशानियों को दूर करने में हल्दी काफी कारगर होती है। थायराइड के रोगियों को प्रतिदिन हल्दी वाले दूध का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा हल्दी पकाकर पीने से भी थायराइड के दौरान कमजोरी और हाथ पांव कांपना आदि समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • शिग्रु पत्र, कांचनार और पुनर्नवा से बने काढ़े का इस्तेमाल थायराइड के इलाज के लिए किया जाता है। शिग्रु पत्र, कांचनार और पुनर्नवा में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते जो थायराइड में होने वाली सूजन को कम करने में सहायक होती है।
  • थायराइड में अलसी के चूर्ण का उपयोग करें। अलसी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 मौजूद होता है जो थायराइड के कार्यों को नियंत्रित करके थायराइड के रोग से शरीर की रक्षा करने में मददगार होता है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल करना भी थायराइड में आराम दिलाने में सहायक होता है।
  • थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार में काली मिर्च को शामिल किया जा सकता है। थायराइड में काली मिर्च और काली मिर्च से बने पेय पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा लौकी के जूस व लौकी से बने खाद्य पदार्थों को खाने से भी थायराइड की समस्या को कम किया जा सकता है।
  • नारियल के तेल का इस्तेमाल भी थायराइड में फायदेमंद होता है, थायराइड के रोगियों को अपने भोजन में नारियल तेल का उपयोग करना चाहिए क्योंकि नारियल तेल में ऐसे गुण मौजूद होते है जो थायराइड की क्रिया को संतुलित करने में सहायक होते है।

थायराइड रोग के लिए योगासन

थायराइड के रोगी योग के माध्यम से भी इन परेशानियों से छुटकारा पा सकते है। थायराइड के लिए उचित योगासन निम्नलिखित है –

  1. सूर्य नमस्कार करें।
  2. प्राणायाम एवं ध्यान करें।
  3. सर्वांगासन करें।
  4. भुजंगासन करें।
  5. पवनमुक्तासन करें।
  6. हलासन करें।
  7. उष्ट्रासन करें।
  8. मत्स्यासन करें।

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